रांची: रिम्स में एमबीबीएस की सीटें बढ़ाने के लिए निरीक्षण करने आयी एमसीआइ की टीम को इस बार भी पुरानी खामियां देखने को मिलीं. यहां की लाइब्रेरी को शिफ्ट करने के बावजूद व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है. टीम की सदस्य डॉ आर मुथु लक्ष्मी ने रिम्स प्रबंधन से पूछा कि रजिस्टर को देखने से नहीं लगता है कि यहां विद्यार्थी आते भी है. रजिस्टर में कौन आया, कौन गया, कौन सी पुस्तक ली, इसका विवरण ही नहीं है.
आज के युग में पुस्तकालय ऑनलाइन नहीं है. इधर टीम के दूसरे सदस्य डॉ आर दास ने ओरमांझी एवं डोरंडा पीएचसी का निरीक्षण किया. उस सेंटर में भी कुछ कमियां मिली जिसे सुधारने का निर्देश दिया. वहीं डॉ एमके परासर ने सभी विभागों का भौतिक सत्यापन किया.
सीटों पर लग सकता है ग्रहण
रिम्स के अगले सत्र में भी एमबीबीएस की 150 सीटों पर नामांकन की अनुमति मिलेगी या नहीं, इसमें संशय है. राज्य सरकार एवं रिम्स ने खामियों को दूर करने का दावा किया है, लेकिन निरीक्षण करने आयी टीम के सदस्यों को पुरानी समस्याएं फिर से दिखने को मिली.
..तो कोयला पर बनता है खाना
डॉ आर मुथु लक्ष्मी हॉस्टल का निरीक्षण करने भी गयीं. वह हॉस्टल के किचन में खाना को कोयले पर बनते देख नाराज हो गयी. उन्होंने पूछा कि क्या कोयला पर ही खाना बनता है. कोयला के बजाय गैस पर खाना बनना चाहिए. वह ब्वायज हॉस्टल संख्या एक में गयी. पूछा कि यहां पीजी के विद्यार्थी रहते है तो उन्हें सिंगल रूम मिलता है या नहीं. बाहरी विद्यार्थी दिखायी दे रहे है. निदेशक डॉ एसके चौधरी ने बताया कि पहले ऐसा था. अब ऐसा नहीं है.
निरीक्षण में कमी मिली है, जिसको राज्य सरकार एवं रिम्स को दूर करना है. हमलोग अपनी रिपोर्ट एमसीआइ को सौंप देंगे.
डॉ आर मुथु लक्ष्मी, एमसीआइ सदस्य