एजेंसियां, लंदनकैंसर. यह नाम ऐसा है जिसे सुनते ही अच्छे-अच्छे सहसा सिहर जाते हैं. लेकिन इसे लापरवाही कहें या कुछ और, लोगों में शायद यह कैंसर का भय ही है कि वे इस बीमारी की संभावित चेतावनी के संकेत को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके कारण बाद में उनकी जान पर बन आती है. एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है.निष्कर्ष के मुताबिक, कुल 1,700 लोगों पर यह अध्ययन किया गया, जिसमें लगभग आधे (53 फीसदी) लोगों ने कहा कि तीन महीने पहले उन्हें कैंसर के कम से कम एक गंभीर लक्षण का अहसास हुआ, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उनमें से केवल दो फीसदी लोगों को ही लगा कि यह कैंसर का संभावित लक्षण है. निष्कर्ष के मुताबिक, कैंसर के लक्षणों को लोग बढ़ती उम्र, संक्र मण, गठिया तथा सिस्ट समझकर नजरअंदाज कर देते हैं.शुरुआत में ही ध्यान देंयूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में वरिष्ठ शोधार्थी कैटरीना व्हीटेकर ने कहा, कैंसर के लक्षण सामने आने का मतलब यह नहीं कि वह बीमारी कैंसर ही है. यह कैंसर या दूसरी बीमारियों का लक्षण हो सकता है. लेकिन शुरुआत में ही इस पर ध्यान देना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.चिकित्सक के पास जायेंव्हीटेकर ने कहा, यही कारण है कि जब ऐसे लक्षण प्रकट हों, तो उसकी जांच करानी चाहिए, खासकर अगर वे दूर नहीं हो रहे हों तो. लेकिन अगर लोगों को लगता है कि ये लक्षण कैंसर से संबंधित नहीं हैं, तो लोग चिकित्सक से परामर्श लेने में देर करते हैं. यूके कैंसर रिसर्च में शीघ्र निदान के निदेशक सारा हियोम ने कहा, लक्षण दिखने पर अगर लोग चिकित्सक के पास जायें, तो अधिकांश कैंसर का पता लगाया जा सकता है. यह निष्कर्ष पत्रिका प्लस वन में प्रकाशित हुआ है.
कैंसर के लक्षण न करें नजरअंदाज
एजेंसियां, लंदनकैंसर. यह नाम ऐसा है जिसे सुनते ही अच्छे-अच्छे सहसा सिहर जाते हैं. लेकिन इसे लापरवाही कहें या कुछ और, लोगों में शायद यह कैंसर का भय ही है कि वे इस बीमारी की संभावित चेतावनी के संकेत को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके कारण बाद में उनकी जान पर बन आती है. एक […]
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