चान्हो: चान्हो बीजुपाड़ा की 10 वर्षीया पुष्पा कुमारी का बचपन सब्जी, बटखरा व तराजू के बीच गुम हो रहा है. पढ़ने-लिखने व दोस्तों के साथ बचपन की खुशियां बांटने की उम्र में यह मासूम बीजुपाड़ा चौक के फुटपाथ पर दुकान लगा कर सब्जी बेच रही है़.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन व बाल श्रम उन्मूलन के तमाम कागजी दावों की हकीकत बयां करती पुष्पा कुमारी पढ़ना-लिखना चाहती है, लेकिन मां-बाप के साये से कोसों दूर मजबूरी में उस यहां दिन भर अपने दूर के रिश्ते की नानी साबी देवी की दुकान का बोझ संभालना पड़ रहा है.
पुष्पा कुमारी के अनुसार उसका घर बिहार में है. वे पांच भाई बहन है. उसकी मां की मौत हो चुकी है. बाप शराबी है. तीन साल पहले जब उसकी मां की मौत हुई थी, तब वहां से साबी देवी की बेटी उसके अलावा उसकी बड़ी बहन व एक भाई को बीजुपाड़ा ले आयी थी. तब से वे यहीं है.
पुष्पा बताती है कि साबी देवी का पेशा ही सब्जी बेचना है, इसलिए वह भी उसके काम में हाथ बंटाती है. पुष्पा के संबंध मे पूछने पर साबी देवी ने कहा कि वह उसकी नतिनी है, इसलिए दुकान में बैठती है. पढ़ाई-लिखाई से दूर 10 वर्ष की पुष्पा के सब्जी दुकान चलाने के बाबत पूछने पर चान्हो के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि यह मामला बाल श्रम का भी है. वे मामले को देखेगें और जरूरत पड़ी, तो कार्रवाई भी करेंग़े.