एजेंसियां, कोलकातादुनिया की सबसे बड़ी माध्यमिक शिक्षा प्रणाली भारत में होने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि शिक्षा के स्तर में सुधार किया जाना चाहिए. सभी पृष्ठभूमिवाले मेधावी छात्रों के लिए इसे किफायती बनाया जाना चाहिए. राष्ट्रपति ने देश के उस विशाल कार्यबल को शिक्षा एवं पर्याप्त प्रशिक्षण के जरिये कौशल मुहैया कराने की जरूरत पर भी बल दिया, जो कुल आबादी का दो तिहाई है.राष्ट्रपति भवन की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वैसे अच्छे गुणवत्तापूर्ण और प्रतिबद्ध शिक्षकों का एक बड़ा ‘पूल’ बनाने की आवश्यकता है, जिन्हें अगली पीढ़ी को निखारने की जिम्मेदारी दी जा सके. वह यहां मेट्रोपोलिटन इंस्टीट्यूशन की 150वीं सालगिरह पर आयोजित समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.भारत की ताकत10.7 करोड़ विद्यार्थियोंवाली विश्व की सबसे बड़ी माध्यमिक शिक्षा प्रणालीखामी53 फीसदी ही है कुल नामांकन अनुपात02 लाख से ज्यादा मेधावी छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं200 शीर्ष संस्थानों में हमारा कोई भी संस्थान शामिल नहींअन्य देशों का नामांकन अनुपातअमेरिका96%दक्षिण अफ्रीका94%रूस89%गौरवशाली अतीतईसापूर्व छठी सदी और 12वीं सदी के बीच एक समय था, जब दुनिया भर के विद्वान नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे उच्च शिक्षा के भारतीय केंद्रों में आते थे.
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राष्ट्रपति का शिक्षा के स्तर में सुधार की जरूरत पर बल
एजेंसियां, कोलकातादुनिया की सबसे बड़ी माध्यमिक शिक्षा प्रणाली भारत में होने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि शिक्षा के स्तर में सुधार किया जाना चाहिए. सभी पृष्ठभूमिवाले मेधावी छात्रों के लिए इसे किफायती बनाया जाना चाहिए. राष्ट्रपति ने देश के उस विशाल कार्यबल को शिक्षा एवं पर्याप्त प्रशिक्षण के […]
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