हाइकोर्ट ने लगायी सरकार को फटकार
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को पाकुड़ व साहेबगंज में पेयजल संकट को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए योजना लटकाने व लागत में बढ़ोतरी होने के लिए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगायी. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के उच्चधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान दिन के 10.30 बजे कोर्ट में सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश भी दिया गया.
अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी प्रकट करते हुए खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर साहेबगंज व पाकुड़ में शहरी जलापूर्ति योजना तैयार की गयी. योजना मार्च 2013 में पूरी होनी थी. इसे पूरा करने के लिए जुलाई 2014 तक का समय दिया गया, लेकिन योजना अब तक अधूरी है. लोग शुद्ध पेयजल से वंचित हैं. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यह स्थिति राज्य के लिए ठीक नहीं है. सरकार के अफसर पत्रचार करते हैं. योजना अधूरी रहती हैं. उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार दिसंबर की तिथि निर्धारित की. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने पैरवी की, जबकि राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्र ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मीता पांडेय ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने पाकुड़ व साहेबगंज शहर में पेयजल समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.
योजना की लागत बढ़ना पब्लिक मनी का दुरुपयोग
खंडपीठ ने कहा कि 100 करोड़ रुपये की योजना की लागत बढ़कर 500 करोड़ रुपये हो जाती है. योजना की लागत बढ़ना पब्लिक मनी का दुरुपयोग है. यह गंभीर मामला है. अधिकारियों के लेथाजिर्क एप्रोच के कारण राज्य को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. कोर्ट इसकी अनदेखी नहीं कर सकता. इस मामले में राज्य सरकार और एनएचएआइ को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.