रांची: एजी को-ऑपरेटिव, न्यू एजी कॉलोनी की एक जमीन पर दावे को लेकर रविवार को पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार सिंह व मधुसूदन मुखर्जी के परिजनों के बीच विवाद हुआ. मामला हाथापाई तक पहुंच गया. बाद में पुलिस वहां पहुंची और मामले को शांत कराया.
इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से थाने में लिखित शिकायत की गयी. विवादित भूखंड पर एक पुलिसकर्मी को भी तैनात कर दिया गया है. यह घटना दिन के 11 बजे की है. श्री सिंह उक्त प्लॉट पर बन रही चहारदीवारी का विरोध करने वहां पहुंचे थे. वह चहारदीवारी का निर्माण रोकना चाह रहे थे, पर कुछ महिलाओं ने उनका विरोध किया. इस क्रम में धक्का-मुक्की भी हुई.
107 व 144 की कार्रवाई होगी
इस मामले में अरगोड़ा पुलिस धारा 107 व 144 के तहत कार्रवाई करेगी. पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतें दर्ज कर ली है. इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
जमीन हमारी है : एके सिंह
पूर्व सचिव एके सिंह ने बताया कि यह जमीन उनकी है. एजी को-ऑपरेटिव ने 2001 में जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम की है. उनके पास को-ऑपरेटिव की मेंबरशिप ,एलॉटमेंट लेटर व रजिस्ट्री डीड भी है. मधुसूदन मुखर्जी के पास मेंबरशिप भी नहीं है. उनके पिता स्वर्गीय सचींद्र नाथ मुखर्जी के नाम से यह जमीन थी, जिनका निधन 1987 में हो गया था. उसके बाद किसी ने उसे अपने नाम से ट्रांसफर नहीं कराया. बाद में मरे हुए व्यक्ति को जिंदा बता कर गलत तरीके से नगर निगम में म्यूटेशन करा लिया और आरआरडीए से नक्शा पास कराया.
बाद में दोनों संस्थाओं ने उन्हें फ्रॉड करार देते हुए उनका म्यूटेशन और नक्शा रद्द कर दिया. श्री सिंह ने कहा कि यदि मुखर्जी परिवार जमीन के कागजात दिखा दें, तो वे जमीन से हट जायेंगे. इस बीच एजी कोऑपरेटिव के सचिव कपिलदेव गिरि ने कहा कि जमीन पूर्व सचिव एके सिंह के नाम से एलॉट है. 1987 में मधुसुदुन मुखर्जी के पिता का निधन हो गया था. उसके बाद उनलोगों ने जमीन पर कोई दावा नहीं किया. उसके बाद जमीन एके सिंह को एलॉट कर दी गयी. वर्तमान में मुखर्जी परिवार के पास जमीन से संबंधित कोई कागजात नहीं हैं. उनका दावा निराधार है.
बाउंड्री तोड़ने का प्रयास :इला सरकार
मधुसूदन मुखर्जी की सास इला सरकार ने बताया कि आज वे लोग चहारदीवारी का निर्माण करा रहे थे. तभी एके सिंह पुत्र के साथ वहां पहुंचे और चहारदीवारी तोड़ने का प्रयास करने लगे. उनका आरोप है कि श्री सिंह ने उन्हें धक्का दिया, जिससे वह गिर गयी और उन्हें चोट भी आयी. उन्होंने बताया कि यह जमीन स्व एसएन मुखर्जी को आवंटित हुई थी. इस बीच 1987 में उनका निधन हो गया, जिससे वे लोग रजिस्ट्री नहीं करा पाये थे.
इसके बाद स्व मुखर्जी के पुत्र मधुसूदन मुखर्जी (एजी ऑफिस कर्मी) के नाम से कागजात ट्रांसफर करने के लिए को ऑपरेटिव सोसाइटी को लिखा गया, पर उनके नाम से कागजात ट्रांसफर नहीं किया गया. मधुसूदन इस प्लॉट पर घर बना कर रहने लगे. इस बीच सोसाइटी ने गलत तरीके से उनका आवंटन रद्द कर सदस्यता भी समाप्त कर दी और एके सिंह को भूमि आवंटित कर दिया. इसके खिलाफ मधुसूदन मुखर्जी ने न्यायालय की शरण ली है.
फिलहाल सदस्यता समाप्त करने के खिलाफ तथा भूखंड पर अधिकार को लेकर न्यायालय में मामला चल रहा है.