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एसआइटी बना रही कार्रवाई योजना

कर पनाहगाह वाले देशों के साथ संधि नहीं होना काला धन लाने में बाधक : एजेंसियां एजेंसियां, नयी दिल्लीभारत और कर पनाहगाह देशों के बीच आपराधिक कानूनी संधियों का अभाव काले धन के खिलाफ लड़ाई में बाधक है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियांे ने एसआइटी को एक रिपोर्ट में […]

कर पनाहगाह वाले देशों के साथ संधि नहीं होना काला धन लाने में बाधक : एजेंसियां एजेंसियां, नयी दिल्लीभारत और कर पनाहगाह देशों के बीच आपराधिक कानूनी संधियों का अभाव काले धन के खिलाफ लड़ाई में बाधक है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियांे ने एसआइटी को एक रिपोर्ट में इन चुनौतियों के बारे में बताया है. सूत्रों ने बताया कि इसके बाद एक उच्चस्तरीय समिति ने एक कार्रवाई योजना तैयार करनी शुरू की है, जिसे सरकार को बताया जायेगा. इससे इस दिशा में कार्रवाई की जा सके. रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल भारत की 37 देशों के साथ आपसी कानूनी सहायता संधियां अथवा बहुपक्षीय सहयोग संधियां हैं. इनमें कई कर पनाहगाह माने जानेवाले देश शामिल नहीं हैं, जिनमें केमैन आइलैंड, गुवर्नसी, लीकटेंस्टाइन, मोनाको, बरमूडा, माल्टा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और अन्य शामिल हैं. इन देशांे मंे भारत की जांच एजेंसियांे ने कई संदिग्ध काले धन के मामलांे की जांच की है. एसआइटी शीघ्र ही इस बारे में सरकार को रिपोर्ट भेजेगी, जिसमें कर पनाहगाह देशों और कुछ अन्य क्षेत्रों जो वित्तीय या कर चोरी की जांच की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, के साथ आपसी कानूनी सहयोग संधियां करने का आग्रह किया जायेगा.एजेंसियों का आ रही दिक्कतें जांच एजेंसियों के समक्ष आ रही दिक्कतांे के बारे में रिपोर्ट में बताया गया है. इन मामलों में कर अधिकारी ब्रिटेन और सिंगापुर में गृह मंत्रालय व सीबीआइ के जरिये विदेशी बैंक खातांे का पैसा कुर्क करने व वसूलने मंे विफल रहे. मौजूदा दोहरा कराधान बचाव करार (डीटीएए) और कर सूचना आदान-प्रदान संधि इस मामले मंे मददगार नहीं हैं. इन्हें वैश्विक आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने तैयार किया है. ये संधियां सिर्फ दस्तावेज जुटाने में मददगार हैं. इनके जरिये किसी संदिग्ध कालाधन रखनेवाले व्यक्ति की संपत्ति या धन कुर्क नहीं किया जा सकता. इस वजह से भारतीय जांच एजेंसियां कई मामलों में विदेशी बैंक खातांे मंे जमा धन वापस नहीं ला पातीं. इस तरह के मामले जब जांच के दायरे में होते हैं, तो उनसे कर मांग नहीं की जाती, न ही अदालत द्वारा जुर्माना नोटिस जारी किया जाता है. ऐसे में भारतीय एजेंसियां संदिग्ध रूप से काला धन रखने वाले ऐसे लोगांे पर हाथ नहीं डाल पातीं. एमएलएटी मंे इसकी जरूरत नहीं होती. यदि पुख्ता प्रमाण हों, तो भारतीय एजेंसियां आसानी से ऐसे धन या खातांे को कुर्क कर सकती हैं. २

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