21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रक्रियागत जटिलताएं आरटीआइ की राह में रोड़ा

सात वर्षों में 1.98 लाख से अधिक मामले लंबित12 अक्तूबर, 2005 को अमल में आया था सूचना का अधिकार कानून एजेंसियां, नयी दिल्लीसूचना के अधिकार कानून की राह में सबसे बड़ी बाधा लंबित मामले और प्रक्रियागत जटिलताएं है. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) में सात वर्षों में पंजीकृत एक चौथाई से अधिक शिकायतें एवं अपीलें (31,591 […]

सात वर्षों में 1.98 लाख से अधिक मामले लंबित12 अक्तूबर, 2005 को अमल में आया था सूचना का अधिकार कानून एजेंसियां, नयी दिल्लीसूचना के अधिकार कानून की राह में सबसे बड़ी बाधा लंबित मामले और प्रक्रियागत जटिलताएं है. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) में सात वर्षों में पंजीकृत एक चौथाई से अधिक शिकायतें एवं अपीलें (31,591 मामले) और देश के 23 सूचना आयोगों में अपीलों और शिकायतों सहित 1.98 लाख से अधिक मामले लंबित रहने के बीच आरटीआइ कार्यकर्ताओं ने प्रक्रिया को सरल बनाने और इसे विकास की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित के हथियार के रूप में प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है. सूचना के अधिकार के तहत सीआइसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2006-07 से 2012-13 के बीच सात वर्ष में आयोग में 1,47,924 अपीलें एवं शिकायतें पंजीकृत की गयीं. इस अवधि में इनमें 1,16,333 अपीलों एवं शिकायतों का निबटारा किया गया. इस तरह से सात वर्षों में 31,591 शिकायतें और अपीलें आयोग के समक्ष लंबित हैं.वर्षवार शिकायतें और निबटाये गये मामलों की स्थिति वर्ष शिकायतें निबटाये गये मामले2012-13 28,801 24,550 2011-12 33,922 23,112 2010-11 28,875 24,071 2009-1022,800 19,482 2008-0915,426 13,322 2007-0811,261 7,722 2006-07 6,839 4,074 दिसंबर 2013 तक लंबित मामलेराज्य मामले उत्तर प्रदेश 48,442महाराष्ट्र 32,390केंद्रीय सूचना आयोग 26,115) 2012-2013 के दौरान प्राप्त मामलेराज्य मामले निबटाये गये महाराष्ट्र 73,96861,442केंद्रीय सूचना आयोग 62,72347,662उत्तर प्रदेश 62,008) 60,875 स्रोत : आरटीआइ असेसमेंट एंड एडवोकेसी ग्रुप (राग) किसने क्या कहाआज सूचना का अधिकार की व्यापकता को लोग आसानी से नहीं समझ पा रहे हैं. दरअसल, सूचना का अधिकार को महज भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने तक सीमित करके देखने की प्रवृत्ति बन गयी है. वास्तव में इसे समूचे लोकतंत्र का कायाकल्प करने की वैकल्पिक राजनीति से जोड़कर देखा जाना चाहिए. अरुणा राय, समाजसेवी और आरटीआइ आंदोलन के प्रणेता सरकार ने सूचना का अधिकार तो दे दिया है, इसके उल्लंघन पर जुर्माना लगाने की भी व्यवस्था है, लेकिन फिर भी इस कानून की धार को भोथरा बनाने की कोशिशें हो रही हैं. ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जहां मांगी जानेवाली सूचनाओं पर सही जानकारी देने की बजाये गुमराह करने की कोशिशें भी हुई. आरटीआइ कार्यकर्ताओं पर हमले और जान के मारने की घटनाएं भी सामने आयी हैं.लक्ष्मी नारायण मोदी, आारटीआइ कार्यकर्ता आरटीआइ के तहत सूचना देने में आनाकानी करने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि अधिकारियों को लगता है कि पहले जो लोग उनके सामने खड़ा होने का साहस नहीं करते थे, वे अब हिसाब मांग रहे हैं. इसमें मुख्य बाधा सूचना देनेवालों की मानसिकता एवं प्रक्रिया हैमनीष सिसोदिया, पूर्व मंत्री दिल्ली, आरटीआइ कार्यकर्ता

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें