विश्व पर्यटन दिवस आज- डॉ रामप्रवेशपूर्व प्राचार्य, डोरंडा कॉलेज, रांचीपर्यटन विश्व में आज उद्योग का दर्जा प्राप्त कर चुका है. प्राचीन काल में भी पर्यटक एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश या एक देश से दूसरे देश में भ्रमण के लिए आते-जाते थे. यातायात की सीमित सुविधाओं के कारण पर्यटन का प्रचलन बहुत कम था. आज विश्व स्तर पर पर्यटन ने एक उद्योग का दर्जा प्राप्त कर लिया है. अर्थव्यवस्था में पर्यटन की अहम भूमिका हो गयी है. कुछ विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग मेरूदंड का काम कर रहा है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विकास मंत्र में पांच टी पर जोर दिया है. इसमें एक टी को टूरिज्म अर्थात पर्यटन के लिए चिन्हित किया है. 27 सितंबर को पूरे विश्व में पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है. 2011 के आंकड़े के अनुसार 85 मिलियन से अधिक देशी पर्यटक भ्रमण पर निकले. इनका मुख्य आकर्षण उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और गोवा ही रहा. एक रिपोर्ट के अनुसार 2013 में भारत पर्यटन के क्षेत्र में 144 देशों में 65वें स्थान पर रहा. प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडि़शा, मध्यप्रदेश क्रमश: कम विकसित प्रदेशों की श्रेणी में आते हैं. ये प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में भी पिछड़े हैं. जिन राज्यों ने यातायात व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, सुरक्षित और अनुशासित आवासीय सुविधाओं को पर्यटकों के लिए सुगम बनाया है, उन राज्यों में पर्यटन का विकास ज्यादा हुआ है. झारखंड की भौगोलिक विविधता पर्यटन के विकास के लिए अनुकूल है. यहां एक हजार फीट से लेकर चार हजार फीट उंचाई वाले पहाडि़यों की श्रृंखला है. रांची जिले में जोन्हा फॉल, सीता फॉल, हुंडरू फॉल, दशम फॉल, खूंटी जिले में पंचघाघ, गुमला में सदनी फॉल, लातेहार में बूढ़ाघाघ, पश्चिमी सिंहभूम में हिरणी फॉल, साहेबगंज में मोती फॉल जैसे अनेक मनमोहक जलप्रपात राज्य में इक्को टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सक्षम है. यहां बेतला नेशनल पार्क पलामू, हजारीबाग नेशनल पार्क, दलमा, उघवा पक्षी विहार और साहेबगंज जैसे कई सुंदर जगह हैं. यहां बाघ, हाथी, पैंथर, लकड़बग्घा, लंगूर, मैंगुज, चीतल, सांभर, साहिल, नीलगाय, आदि वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक आवासों में देखा जा सकता है. यहां खनिज भंडार है, जिसका दोहन वर्षों से हो रहा है. राजमहल के पौधों का जीवाश्म विश्व प्रसिद्ध है. झारखंड सरकार की यहां फॉसिल पार्क बनाने की योजना थी, परंतु यह भी कई योजनाओं की तरह अधर में लटका हुआ है. झारखंड में पर्यटन के विकास की असीम संभावनाए हैं, इसके बावजूद यहां का पर्यटन उद्योग देश के प्रथम 25 राज्यों में भी अपना स्थान नहीं बना पाया है. देशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि अवश्य हुई है, लेकिन विदेशी पर्यटकों में यह प्रदेश पांच हजार का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाया है. रांची हवाई मार्ग से जुड़ा राज्य का एक मात्र शहर है. विश्वसनीय और अनुशासित टूर ऑपरेटर, होटल आदि से जुड़े प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी भी पर्यटन उद्योग की प्रगति में बड़ी बाधा है. राज्य गठन के प्रारंभ में ही कई अंगीभूत कॉलेजों में पर्यटन और यात्रा प्रबंधन से संबंधित कोर्स शुरू किये गये, लेकिन आज बंद हो गये हैं.
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प्रगतिपथ पर पर्यटन उद्योग और झारखंड
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