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लोहरदगा के सभी अंचलों में दाखिल-खारिज हुआ ऑनलाइन

राज्य के 16 अंचलों का ही हुआ कंप्यूटरीकरणराजस्व अंचलों की संख्या है 210वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड में राजस्व अंचलों के कंप्यूटरीकरण का काम लक्ष्य से पीछे चल रहा है. पिछले वर्ष मुख्यमंंत्री हेमंत सोरेन ने रांची में आयोजित कार्यक्रम में सभी 210 राजस्व अंचलों को मार्च 2014 तक ऑनलाइन करने का निर्देश दिया था. नेशनल लैंड […]

राज्य के 16 अंचलों का ही हुआ कंप्यूटरीकरणराजस्व अंचलों की संख्या है 210वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड में राजस्व अंचलों के कंप्यूटरीकरण का काम लक्ष्य से पीछे चल रहा है. पिछले वर्ष मुख्यमंंत्री हेमंत सोरेन ने रांची में आयोजित कार्यक्रम में सभी 210 राजस्व अंचलों को मार्च 2014 तक ऑनलाइन करने का निर्देश दिया था. नेशनल लैंड रीफॉर्म मैनेजमेंट प्रोग्राम (एनएलआरएमपी) के तहत सभी अंचलों को ऑनलाइन करने का निर्णय लिया गया है.लोहरदगा के सभी सात अंचलों को ऑनलाइन कर दिया गया है. जिले के कुड़ू, भंडरा, कैरो, किस्को, पेशरार, सेनहा और लोहरदगा अंचलों को ऑनलाइन किये जाने से सभी 354 गांवों तथा 66 ग्राम पंचायतों के लोगों को कंप्यूटरीकरण का लाभ मिलना शुरू हो गया है. दाखिल-खारिज से लेकर अंचलों से संबंधित सभी कार्य कंप्यूटर जनित दस्तावेजों में उपलब्ध किये जा रहे हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की मानें, तो राजधानी के इटकी, नामकुम, कांके और मांडर अंचलों का भी कंप्यूटरीकरण किया जा चुका है. ऑनलाइन अंचलों में बोकारो जिले के दो, रामगढ़ के दो और सरायकेला-खरसांवां के एक अंचल को नेटवर्किंग से जोड़ा गया है. अब नहीं होगी जालसाजी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनुसार अंचलों को कंप्यूटरीकृत किये जाने से भूमि दस्तावेजों, पंजी-2 (रजिस्टर-2) और खतियान में किसी तरह का हेरफेर नहीं किया जा सकेगा. इतना ही नहीं लगान रसीद, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, स्थानीयता प्रमाण पत्र भी अंचल कार्यालयों से निर्गत करने में आसानी होती है. ऑनलाइन होने से अब लोगों को अंचल अधिकारियों के पीछे भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष के अंत तक आधे से अधिक अंचलों को ऑनलाइन कर दिया जायेगा. इससे राजस्व अंचलों में होनेवाले कायार्ें पर मुख्यालय से भी नजर रखी जा सकेगी. सरकार की ओर से चार हजार से अधिक प्रज्ञा केंद्र के माध्यम से कुछ जरूरी दस्तावेजों को देने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है. कोटअंचलों के ऑनलाइन होने से सरकारी कार्यों में पारदर्शिता आयेगी. साथ ही भूमि दस्तावेजों में होनेवाली गड़बड़ी पर अंकुश लगेगी.जेबी तुबिद, प्रधान सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग

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