एजेंसियां, ने पी तॉ (म्यांमार)दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन ‘आसियान’ के कई सदस्य देशों की सहायता से बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों के पास नये सिरे से बनायी गयी नालंदा यूनिवर्सिटी के पहले दो संस्थान अगले महीने से अपने पाठ्यक्रम शुरू करेंगे. पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान अपने संबोधन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज और स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरामेंटल स्टडीज सितंबर, 2014 से शुरू हो रहे शैक्षणिक वर्ष में पाठ्यक्रम शुरू करेंगे. हम पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन (इएएस) के सदस्य देशों के छात्रों का इन संस्थानों में स्वागत करेंगे.अक्तूबर, 2013 में बू्रनेई में आयोजित पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने सात देशों के साथ समझौतों पर दस्तखत किये थे. समझौते पर दस्तखत करनेवाले सभी देशों ने नालंदा यूनिवर्सिटी की महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी. ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, सिंगापुर, बू्रनेई, न्यूजीलैंड, लाओ पीडीआर और म्यांमार के साथ सहमति-पत्रों पर दस्तखत किये गये थे. शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग का जिक्र करते हुए सुषमा ने कहा कि इएएस देशों के बीच शिक्षा में सहयोग का जननांकीय के साथ-साथ विकासात्मक असर भी हो सकता है.
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अगले महीने से पाठ्यक्रम शुरू करेंगे नालंदा यूनिवर्सिटी के दो संस्थान
एजेंसियां, ने पी तॉ (म्यांमार)दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन ‘आसियान’ के कई सदस्य देशों की सहायता से बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों के पास नये सिरे से बनायी गयी नालंदा यूनिवर्सिटी के पहले दो संस्थान अगले महीने से अपने पाठ्यक्रम शुरू करेंगे. पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान […]
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