रांची: मोरहाबादी स्थित दीक्षांत सभागार में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय मुंडा सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया. अंतिम दिन कई प्रस्ताव पारित किये गये. इनमें मुंडारी को आठवीं अनुसूची में शामिल करना, बिरसा मुंडा सांस्कृतिक कांप्लेक्स की स्थापना करना, सभी राज्यों में मुंडाओं को एसटी की सूची में शामिल करना, भूमि अधिग्रहण में ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य रूप से लेना शामिल हैं.
बाद में इन प्रस्तावों से संबंधित ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा गया. इससे पूर्व मोहन सिंह मुंडा ने कहा कि हमारा गौरवशाली इतिहास रहा है, पर हमें खुद को वर्तमान चुनौतियों के लिए तैयार करना है. अपनी परंपरागत आर्थिक गतिविधियों को आधुनिक तकनीक से जोड़ना होगा. मुंडा समाज में जो पिछड़ गये हैं, उनके उत्थान के लिए प्रयास करना होगा.
ओड़िशा से आये शिव प्रसाद सिंह ने कहा कि मुंडाओं को नयी आर्थिक नीति से सामंजस्य बैठाना होगा. आर्थिक उत्थान के साथ दूसरे क्षेत्रों में भी ऊपर उठने के प्रयत्न करने होंगे. विशाखापत्तनम से आये बसंत कुमार भूमिज ने कहा कि मुंडाओं पर आर्थिक व सांस्कृतिक हमले बढ़े हैं.
सोमा सिंह मुंडा ने पहचान व अस्मिता पर प्रकाश डाला. प्रो सिनी मुंडा ने कहा कि मुंडारी भाषा, साहित्य को लिखित स्वरूप देने की जरूरत है. हमारी भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. प्रो अमिता मुंडा, सुभाष मुंडा, दशरथ सिंह सहित अन्य लोगों ने भी विचार रखे. सम्मेलन में झारखंड, ओड़िशा, बंगाल, छत्तीसगढ़, विशाखापत्तनम सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में मुंडा समाज के लोग उपस्थित हुए थे. सम्मेलन के आयोजन में रूंबुल सहित एक दर्जन संस्थाओं का सहयोग रहा.