फोटो. लता में डॉ देबुका की नोट. स्तनपान सप्ताह को लेकर स्तनपान पर विशेष संवाददाता, रांची स्तनपान कराने से स्तन कैंसर से बचाव संभव है. विभिन्न शोध व अध्ययन से यह पता चला है. यहीं कारण है कि स्तनपान के जरिये व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने और माता और बच्चे को स्वस्थ रखने की जानकारियां भी घर-घर तक पहुंचायी जा रही है. कामकाजी महिलाएं हों अथवा गांवों में रहनेवाली माता, अब सभी अपने शिशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने को स्वस्थ रखने के प्रति संवेदनशील हो गयी हैं. चिकित्सकों के अनुसार एक दशक पहले महिलाएं स्तनपान को लेकर रुचि नहीं दिखाती थी. अब गांव की महिलाओं के साथ साथ शहर की महिलाएं भी स्तनपान को लेकर जागरूक हैं. स्तनपान के सही तौर तरीकों को भी जान गई है. यही वजह है कि कामकाजी महिलाएं पहले से प्लानिंग कर ही मां बनती हैं. इससे वह अपने बच्चे को अच्छी तरह से परवरिश कर पाती हैं. साथ ही स्तपनान के तौर तरीकों के प्रति जागरूक रहने की चेष्टा करती हैं. गौरतलब है कि एक से सात अगस्त तक पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है.पहले फिगर को लेकर होती थी चिंता जागरूकता के अभाव में पहले महिलाएं स्तनपान को लेकर भ्रम में थीं. उन्हें लगता था कि स्तनपान से उनका फिगर खराब होगा. किंतु शोध व डॉक्टरों से प्राप्त जानकारी के बाद अब महिलाएं स्तनपान को लेकर जागरूक हो गई है. स्तनपान से स्तन कैंसर से बचाव तो होता ही है, महिलाएं अपने पुराने फिगर में वापस भी लौट सकती हैं. स्तन कैंसर में 90 प्रतिशत डक्ट कैंसर होते हैंस्तन कैंसर में से 90 प्रतिशत मामले डक्ट (नली) कैं सर से जुड़े होते हंै. चिकित्सकों के अनुसार मां का दूध स्तन की विभिन्न नलियों से गुजर कर निपल तक पहंुचता है. दूध के प्रवाह से दूध की धमनियों में बनने वाले ग्लैंड दूर हो जाते है. स्तनपान से यह नलियां स्वस्थ्य व सक्रिय रहती हैं. इससे नली कैंसर होने की संभावना कम होती है. डॉक्टरों के अनुसार शरीर में हार्मोनल डिसऑर्डर के कारण भी ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. बच्चेदानी के कैंसर से भी बचा जा सकता है ब्रेस्ट कैंसर के बचाव के लिए स्तनपान बहुत ही कारगर माध्यम है. स्तनपान से न केवल ब्रेस्ट कैंसर बल्कि बच्चेदानी के कैंसर से भी बचा जा सकता है. स्तनपान से ओवरी (बच्चेदानी) सिकुड़ने लगता है और निश्चित समय तक बच्चेदानी अपने पुराने आकार में आ जाती है. जिससे बच्चेदानी में होने वाली गड़बडि़यां होने की आशंका कम हो जाती है. बच्चों को ऐसे कराये स्तनपान – बच्चे को उसकी मांग के अनुसार दूध पिलायें. नवजात शिशु जब जब रोये तो उसे स्तनपान करायें. -बच्चे को हर दो घंटे में स्तन पान कराना चाहिए. -नवजात को हमेशा दूध बैठा कर पिलाये. जिससे बच्चे में गैस व अपच की समस्या नहीं होगी. -सोकर दूध पिलाने से कान में दूध जाने की समस्या उत्पन्न होती है. कोशिश करें बच्चे को सो कर ना पिलाये. -स्तन व बच्चे के नाक के गैप का ध्यान रखे-दोनों स्तनों से बारी बारी स्तनपान करायें. वर्किंग वूमेन ये करें….-काम में जाने से पहले बच्चे को भर पेट स्तनपान करा कर ही जायें. -काम के बाद घर वापस लौटने पर समय समय पर दो घंटे के अंतराल पर स्तनपान करायें. ब्रेस्ट पंप द्वारा दूध को स्क्वीज कर स्टोर कर सकते हैं. बच्चे को समय समय पर पिला सकते हैं. इसे फ्रिज में रख कर सात से आठ घंटे तक प्रयोग किया जा सकता है. नोट : (यह जानकारी डा. रेखा देबुका से बातचीत पर आधारित है.)
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स्तन कैंसर से बचाता है स्तनपान
फोटो. लता में डॉ देबुका की नोट. स्तनपान सप्ताह को लेकर स्तनपान पर विशेष संवाददाता, रांची स्तनपान कराने से स्तन कैंसर से बचाव संभव है. विभिन्न शोध व अध्ययन से यह पता चला है. यहीं कारण है कि स्तनपान के जरिये व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने और माता और बच्चे को स्वस्थ रखने की जानकारियां […]
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