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रांची : मरीजों के हिसाब से ऑक्सीजन की कीमत वसूलता है मेडिका अस्पताल

रांची : राज्य औषधि निरीक्षकों की टीम ने मेडिका अस्पताल की जांच रिपोर्ट निदेशालय को रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. टीम ने रिपोर्ट में लिखा है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों से ऑक्सीजन की अलग-अलग कीमत वसूली जाती है. ऑक्सीजन के लिए सामान्य मरीजों से प्रति घंटा […]

रांची : राज्य औषधि निरीक्षकों की टीम ने मेडिका अस्पताल की जांच रिपोर्ट निदेशालय को रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं.
टीम ने रिपोर्ट में लिखा है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों से ऑक्सीजन की अलग-अलग कीमत वसूली जाती है. ऑक्सीजन के लिए सामान्य मरीजों से प्रति घंटा 160 रुपये, टीपीए मरीजों (इंश्योरेंस वाले) से 24 घंटे के 2,400 रुपये व एक संस्था से 24 घंटे के 3,800 रुपये निर्धारित किये गये हैं. ऑक्सीजन औषधि की श्रेणी में आता है, जिसे ड्रग एंड काॅस्मेटिक एक्ट के शेड्यूल K के पारा पांच में रखा गया है. ऐसे में नियम का उल्लंघन प्रतीत होता है. ज्ञात हो कि जांच टीम ने 16 नवंबर को मेडिका अस्पताल का निरीक्षण किया था़
टीम ने लिखा है कि अस्पताल मेें भर्ती मरीजों को दी जानेवाली दवा व अस्पताल की फार्मेसी के रिकॉर्ड में अंतर है. यहां भर्ती हुए मरीज मनजीत कौर से 10 वाइल इंजेक्शन का पैसा लिया गया, जबकि मरीज को छह वाइल इंजेक्शन ही दिया गया. एक मरीज को चार वायल इंजेक्शन दिया गया, लेकिन आठ वाइल का पैसा लिया गया. हड्डी इंप्लांट की खरीद रांची के स्थानीय बाजार से की जाती है, जबकि इंप्लांट का बिल पूर्वांचल लाइफ केयर (कोलकाता) द्वारा मेडिका अस्पताल को निर्गत किया जाता है. गौरतलब है कि प्रभात खबर ने इससे संबंधित खबर 30 नवंबर को प्रकाशित की थी. इसके बाद जांच टीम का गठन किया गया था.
मरीज को स्टेंट लगाया अलग बैच का, बिल दिया अलग बैच का : टीम ने रिपोर्ट में हृदय रोगियों में लगने वाले स्टेंट में भी गड़बड़ी पकड़ी है.
बताया गया है कि मरीज को जिस बैच नंबर का स्टेंट लगाया जाता है, बिल में उस नंबर का जिक्र नहीं किया जाता है. एक मरीज का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्टेंट का बैच नंबर K5250048036 है, लेकिन मरीज के बिल में बैच संख्या S19EFAAKAB अंकित है. स्टेंट व इंप्लांट की खरीद का अभिलेख भी प्रस्तुत नहीं किया गया. यह ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 18B का उल्लंघन है. वहीं एंजियोग्राफी व स्टेंट का पैसा हर मरीज से अलग- अलग लिया जाता है. स्टेंट का स्टॉक कोलकाता के पूर्वांचल लाइफ केयर प्राइवेट लिमिटेड से चालान पर मंगाया जाता है. प्रोसिज्योर होने के बाद अस्पताल मरीज को बिल जारी करता है, जो ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 का उल्लंघन है.
जिस जांच रिपोर्ट की बात कही जा रही है, वह पूरी तरह से गलत है. कॉरपोरेट अस्पताल में हर तबके के मरीज के लिए अलग-अलग कीमत निर्धारित की जाती है. दवा कम लगाकर अधिक पैसा लेने की बात व स्टेंट का अलग-अलग बैच होना समझ से परे है. एंजियोग्राफी का खर्च अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि हर मरीज में अलग सामान लगता है.
अनिल कुमार, वाइस प्रेसिडेंट, मेडिका

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