रांची : रातू थाना क्षेत्र सहित शहर के अन्य इलाकों में झोलाछाप द्वारा फिर क्लिनिक खोल कर मरीजों का धड़ल्ले से इलाज किया जा रहा है. मरीज की स्थिति बिगड़ने पर वह राजधानी के निजी अस्पताल या रिम्स में रेफर कर देते हैं. 27 जुलाई 2019 को रातू थाना क्षेत्र के चटकपुर में झोलाछाप डाॅक्टर के यहां मरीज की मौत होने के बाद सिविल सर्जन ने रांची के सभी पीएचसी-सीएचसी के चिकित्सा प्रभारियों को निर्देश दिया था कि वह अपने-अपने क्षेत्र में झोलाछाप काे चिह्नित कर इसकी सूची बनायें, लेकिन चार माह बाद भी सिविल सर्जन कार्यालय को सूची उपलब्ध नहीं करायी गयी है. इस कारण झोलाछाप बेखौफ होकर अपना कारोबार कर रहे हैं.
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अभी तक नहीं भेजी सूची, धड़ल्ले से क्लिनिक चला रहे हैं झोलाछाप
रांची : रातू थाना क्षेत्र सहित शहर के अन्य इलाकों में झोलाछाप द्वारा फिर क्लिनिक खोल कर मरीजों का धड़ल्ले से इलाज किया जा रहा है. मरीज की स्थिति बिगड़ने पर वह राजधानी के निजी अस्पताल या रिम्स में रेफर कर देते हैं. 27 जुलाई 2019 को रातू थाना क्षेत्र के चटकपुर में झोलाछाप डाॅक्टर […]
गौरतलब है कि कोई क्लिनिक को खोलने से पहले डॉक्टरों को क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत सिविल सर्जन कार्यालय में पंजीयन कराना होता है. संचालक की योग्यता व प्रमाण पत्र के आधार पर पंजीयन किया जाता है. पंजीयन कराने से सिविल सर्जन के पास जिले में संचालित होने वाले क्लिनिक व अस्पताल की सूची होती है.
इससे आवश्यकता पड़ने पर वहां जांच करायी जा सकती है. लेकिन, प्रशासन व चिकित्सा पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण झोलाछाप डॉक्टराें को भी क्लिनिक का संचालन करने का मौका मिल जाता है. कई झोलाछाप तो फर्जी योग्यता प्रमाण पत्र जमाकर क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीयन भी करा लेते हैं.
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