बेतला नेशनल पार्क- मौत के कारण का पता नहीं चलाकोटहाथी के दो नवजात बच्चों की मौत प्राकृतिक हुई है. शवों को देखने से यह स्पष्ट हो गया है. एसइएच काजमी, क्षेत्र निदेशक, पलामू टाइगर रिजर्वअब तक 86 हाथी मरेआंकड़े बताते हैं कि पलामू टाइगर रिजर्व में 2009-10 से अब तक 86 हाथियों की मौत विभिन्न कारणों से हुई है. इनमें ट्रेन हादसा, बिजली करंट, जहर देकर ग्रामीणों द्वारा मारा जाना, शिकारियों द्वारा गोली मार कर हत्या व प्राकृतिक मौत शामिल है.प्रतिनिधि, बेतलापलामू टाइगर रिजर्व अंतर्गत बेतला नेशनल पार्क के कंपार्टमेंट-2 में हाथी के दो नवजात बच्चे की मौत हो गयी. शवों को वन कर्मियों ने शुक्रवार को गश्ती के दौरान सुगवा सेमर नामक जगह पर देखा. सूचना पर पलामू टाइगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक एसइएच काजमी व रेंजर नथुनी सिंह वहां पहुंचे और घटना की जानकारी ली. दोनों शव एक ही जगह थे. इससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बच्चे जुड़वां थे या दो अलग-अलग हथिनी ने एक ही जगह बच्चे को जन्म दिया था. यह भी स्पष्ट नहीं हो सका कि किस कारण से नवजात की मौत हुई.18 माह तक बच्चा पलता हैजानकारों के अनुसार, बरसात का समय प्रजनन काल होता है. हथिनी के गर्भ में 18 माह तक बच्चा पलता है, जिसके बाद वह बच्चे को जन्म देती है. शव देखने से प्रतीत हो रहा था कि हथिनी ने बच्चे को समय के पहले ही जन्म दिया हो. अंग भी पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ था. मामले की जांच कर दोनों नवजात के शव जला दिये गये.
हाथी के दो नवजात बच्चों की मौत
बेतला नेशनल पार्क- मौत के कारण का पता नहीं चलाकोटहाथी के दो नवजात बच्चों की मौत प्राकृतिक हुई है. शवों को देखने से यह स्पष्ट हो गया है. एसइएच काजमी, क्षेत्र निदेशक, पलामू टाइगर रिजर्वअब तक 86 हाथी मरेआंकड़े बताते हैं कि पलामू टाइगर रिजर्व में 2009-10 से अब तक 86 हाथियों की मौत विभिन्न […]
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