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रांची : ईसाइयों को टारगेट कर किया जा रहा परेशान
रांची : राज्य सरकार द्वारा चर्च के स्वामित्व वाली जमीन की जांच के निर्णय पर झारखंड क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन (जेसीवाइए) ने कहा है कि एक ओर सरकार कहती है कि सबका साथ, सबका विकास. दूसरी ओर झारखंड में ईसाइयों को लगातार टारगेट कर परेशान किया जा रहा है़ कभी धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाया जाता […]
रांची : राज्य सरकार द्वारा चर्च के स्वामित्व वाली जमीन की जांच के निर्णय पर झारखंड क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन (जेसीवाइए) ने कहा है कि एक ओर सरकार कहती है कि सबका साथ, सबका विकास. दूसरी ओर झारखंड में ईसाइयों को लगातार टारगेट कर परेशान किया जा रहा है़ कभी धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाया जाता है, तो कभी मॉब लिंचिंग कर मार दिया जाता है़ कभी चर्च के फंड की जांच की जाती है़ जब इससे भी मन नहीं भरा, तो चर्च की भूमि की जांच का निर्देश दिया गया़ यह दुखद है़
जेसीवाइए ने कहा कि कमजोर देख सीधे-सादे ईसाई वर्ग पर लगातार अलग-अलग तरीके से हमला किया जा रहा है़ सरकार की यह दोहरी नीति निंदनीय है़ मीडिया प्रभारी विकास तिर्की ने कहा कि सरकार एक आंख में काजल व एक में सुरमा लगा रही है़ यदि जांच करनी है, तो यह निष्पक्ष हो और सभी धार्मिक स्थलों की हो़ आदिवासियों की जमीन पर जो बड़े-बड़े मॉल बन गये हैं, उनकी भी जांच करायी जाये.
जांच सिर्फ ईसाई धार्मिक संस्थाओं की ही क्यों
केंद्रीय आदिवासी मोर्चा के महासचिव अलबिन लकड़ा ने कहा है कि राज्य सरकार अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रही है़ जिन्होंने राज्य और देश की प्रगति में हमेशा अहम भूमिका निभायी है, उन्हें सरकार और दूसरी ताकतों द्वारा परेशान करने की साजिश रची जा रही है़ इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे़ जांच सभी धार्मिक संस्थाओं और उनकी जमीन की होनी चाहिए न कि सिर्फ मिशनरी संस्थाओं की़ सरकार बताये कि ऐसा सिर्फ एक समुदाय विशेष को टारगेट कर क्यों किया जा रहा है.
किसी राजनीतिक दबाव या ईर्ष्या के कारण न हो जांच
ऑल चर्चेज कमेटी, यूथ विंग के अध्यक्ष कुलदीप तिर्की ने कहा है कि राज्यपाल को यदि चर्च और मिशनरी संस्थाओं के स्वामित्व वाली भूमि पर एतराज है, तो अवश्य जांच करायें, पर यह संवैधानिक दायरे में हो़ किसी ईर्ष्या भाव या किसी राजनीतिक दबाव से नहीं. चर्च लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है. इसलिए उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं लगनी चाहिए़ यदि धर्म स्थल ही जांच का विषय है, तो सिर्फ चर्च ही क्यों. मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि क्यों नहीं.
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