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लिटरेरी मीट की पूर्व संध्या पर जमशेदपुर में प्रशंसकों से रू-ब-रू हुए मशहूर लेखक रस्किन बांड, कहा- स्कूल टीचर की सजा ने बना दिया लेखक
रांची/जमशेदपुर : बच्चों में लोकप्रिय और 500 से भी अधिक कहानियां लिखने वाले रस्किन बांड ने अपने लेखक बनने की रोचक कहानियां सुनायी है. रुसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस (जमशेदपुर) में झारखंड लिटरेरी मीट की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान रस्किन बांड ने यहां मौजूद स्कूली बच्चों, टीनएजर्स से लेकर काॅरपोरेट व सामाजिक […]
रांची/जमशेदपुर : बच्चों में लोकप्रिय और 500 से भी अधिक कहानियां लिखने वाले रस्किन बांड ने अपने लेखक बनने की रोचक कहानियां सुनायी है. रुसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस (जमशेदपुर) में झारखंड लिटरेरी मीट की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान रस्किन बांड ने यहां मौजूद स्कूली बच्चों, टीनएजर्स से लेकर काॅरपोरेट व सामाजिक संस्थाओं के अलावा विभिन्न वर्गों के अपने प्रशंसकों के बीच अपनी बातें रखीं.
संचालिका माल्विका बनर्जी के सवालों के अलावा आम लोगों के सवालों का भी रस्किन बांड ने जवाब दिया और अपनी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम का संचालन टाटा स्टील काॅरपोरेट कम्युनिकेशन के हेड अमरेश सिन्हा ने किया, जबकि कारपोरेट कम्युनिकेशन के चीफ कुलविन सुरी ने स्वागत भाषण दिया.
मुख्य अतिथि के तौर पर कंपनी के वीपी चाणक्य चौधरी ने भी अपना संबोधन रखा. इस मौके पर झारखंड, भुवनेश्वर और कोलकाता लिटरेरी मीट के अब तक इतिहास के बारे में भी एक शॉर्ट फिल्म भी दिखायी गयी.
पढ़ने की ललक ने मुझे लेखक बना दिया
रस्किन ने कहा कि एक बार उनको स्कूल में बदमाशी करने के लिए लाइब्रेरी में अकेले बंद कर दिया गया था. इस दौरान उन्होंने लाइब्रेरी में पुस्तकों को पढ़ा. उस सजा ने मेरी जिंदगी बदल दी. किताबें पढ़ने की ललक बढ़ गयी. फिर लिखने लगा.
युवा लेखक सब्र करें
रस्किन बांड ने युवा लेखकों के लिए भी सीख दी. उन्होंने कहा कि युवा लेखक सब्र करना सीखें. माता-पिता का रुपया बर्बाद कर देने से कोई लेखक नहीं बन जाता़ उन्होंने सलाह दी कि अपने लिखे को बार-बार पढें. अगर वह आपको रोचक लगता है तो लीखिये वरना डस्टबिन में डालिये. लगातार लिखने का अभ्यास ही आपको बेहतर बना सकता है. कहा कि उन्होंने जब लिखना शुरू किया था तब वे 17 साल के थे. प्रकाशक ने उनकी पुस्तक छापने की इजाजत तब दी जब उनकी उम्र 20 साल की थी. तब तक वे काफी कुछ लिख चुके थे.
सपने देखकर उसको नोट करता हूं
दर्शक ने सवाल पूछा कि क्या वे सपने देखते हैं? भूत की कहानियां कैसे लिखते हैं? रस्किन बांड ने मजाकिया अंदाज में कहा कि वे सपने देखते हैं और उसको नोट करते हैं. इसके बाद उसको अपनी कहानियां में उकेरते हैं. मेरे पास एक बेड है और एक लिखने का टेबुल. जैसे ही हमको नींद आती है तो सो जाते हैं. फिर उठकर लिखते हैं और फिर सोते हैं.
भूत की कहानियां निश्चित तौर पर जिस वर्ग के लिए लिखता हूं, उसकी रोचकता का ध्यान रखता हूं. एक सवाल के जवाब में रस्किन बांड ने कहा कि उनकी कहानियों के कैरेक्टर आसपास के ही होते हैं. अपने आसपास के लोगों के नाम रखते हैं और अगर कोई रिलेटिव हुआ, तो उसका नाम बदल देते हैं, ताकि वे लोग नाराज न हों. इसलिए मैं कुछ अलग नाम खोजने में अपना वक्त जाया नहीं करता.
मैं लड़की को किस नहीं कर पाया
उनकी कहानियों या पुस्तकों पर अब तक सिर्फ एक ही फिल्म क्यों आयी? इस सवाल के जवाब में रस्किन बांड ने हल्के-फुल्के अंदाज में सर्द रात को रूमानियत से भर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी एक मात्र फिल्म में जगह मिली थी, वह थी सात खून माफ. उन्होंने कहा कि सात खून माफ फिल्म उनकी पुस्तक सुजैन सेवेन हस्बैंड पर आधारित थी. उसमें उनको भी किरदार की भूमिका मिली थी. उस फिल्म में हमको एक लड़की को पिता के रूप में चूमने को कहा गया.
कई टेक के बाद भी मैं उसे पूरा नहीं कर पाया. इसके बाद किसी ने मौका ही नहीं दिया क्योंकि आज तक हमने ऐसा नहीं किया था. उन्होंने कहा कि पुस्तकों के आधार पर कई फिल्में जरूर बनी है. मेरी ही कहानी पर फ्लाइट ऑफ पिजंस और एंग्री रिवर जैसी फिल्में बनी हैं. पुस्तकों पर आधारित फिल्में बनती हैं, तो अच्छी लगती है. इसमें कोई खराबी नहीं है.
आफ्टरवडर्स का अनावरण
इस दौरान एक स्मारिका आफ्टरवडर्स के फर्स्ट कवर का अनावरण भी किया गया. टाटा स्टील की ओर से पिछले वर्षों में आयोजित की गयी लिटरेरी मीट कार्यक्रमों के महत्वपूर्ण हिस्सों व अतिथियों के संदेश को इसमें समाहित किया गया है. कार्यक्रम के दौरान एक दर्शक ने रस्किन बांड से मिलने की चाहत पूरा होने की बात कही. उन्होंने कहा कि वे मसूरी उनसे मिलने गये थे, लेकिन रस्किन बांड मसूरी में नहीं थे. इसके बाद वे लौट आये. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि वे पैर छूकर उनका आर्शीवाद ले. रस्किन ने उनसे हाथ मिलाया, तो वे भाव विह्वल हो गये.
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