रांची: चिंतन शिविर में पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने प्रदेश अध्यक्ष के कामकाज पर ही सवाल उठा दिया. फुरकान अंसारी ने कहा कि बीडीओ की तरह संगठन चलाना चाहते हैं. यहां बीडीओगिरी नहीं चलेगी.
जिलाध्यक्ष और प्रखंड अध्यक्षों के साथ पंचायत सेवक की तरह व्यवहार करते हैं. पार्टी कार्यालय को ब्लॉक कार्यालय बना कर रख दिया है. फुरकान अंसारी ने कहा कि गैर आदिवासी अध्यक्ष पर भी विचार होना चाहिए. सुखदेव भगत आदिवासी के नाम पर अध्यक्ष बने हैं. लेकिन पांच आदिवासी को नहीं जोड़ सके.
कितने आदिवासी का वोट दिला पाये. इस पर प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत ने आपत्ति जतायी. श्री भगत ने कहा कि यहां संगठन को मजबूत करने पर विचार के लिए बैठे हैं. इस तरह जात-पात की बात नहीं होनी चाहिए. प्रभारी बीके हरि प्रसाद ने भी कहा कि यहां जात-पात पर बात नहीं होनी चाहिए. चिंतन शिविर में प्रदीप बलमुचु करीब 1.30 बजे उठ कर चले गये. प्रदेश अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा कि प्रदीप बलमुचु चले गये हैं. बड़े नेता पार्टी के कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लेंगे, तो आम कार्यकर्ता क्या करेगा.
चिंतन शिविर धोखा : बलमुचु
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद प्रदीप बलमुचु ने बैठक में जाने से पहले कहा कि ऐसा चिंतन शिविर आयोजित करना आला कमान को धोखा देना है. चिंतन करना है, तो खुले मैदान में करना होगा. राज्य में कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसद हैं. सांसद धीरज साहू और पूर्व विधायक मनोज यादव को नहीं बुलाया गया है. जब ऐसे लोगों को नहीं बुलाया जायेगा, तो किस बात का चिंतन.