।। अजय दयाल ।।
केदारनाथ त्रासदी के एक वर्ष हुए पूरे, सदमे से नहीं उबर पाये हैं परिजन
रांची : रविवार 15 जून रविवार को उत्तराखंड के केदारनाथ त्रासदी के एक वर्ष पूरे हो गये. इस त्रासदी में बरियातू के पांच परिवारों के करीब एक दर्जन लोग काल के गाल में समा गये. लापता होनेवालों में सभी परिवार के मुखिया हैं. इन परिवारों को आज भी उनके पिता व परिवार के अन्य सदस्यों के लौट आने का इंतजार है.
अनिल सिंह के पुत्र विकास, भीम सिंह के पुत्र रोशन सिंह, बैजनाथ सिंह के पुत्र कृष्णा, लालू उरांव के पुत्र जयंत कच्छप को आज भी पिता का इंतजार है. परिवार वालों का कहना है कि विश्वास ही नहीं होता है कि पापा-मम्मी इस दुनिया में नहीं हैं. गौरतलब है कि गत 19 अक्तूबर को परिवारवालों ने अपने खोये हुए परिजनों के पुतले का अंतिम संस्कार हरमू मुक्तिधाम में कर दिया था.
बच्चों को हो रही है परेशानी
केदार नाथ त्रासदी में काल के गाल में समाये अधिकतर लोग वैसे थे, जो परिवार के कमाऊ सदस्य थे. उनके नहीं रहने से अब परिवार के समक्ष आर्थिक तंगी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. भीम सिंह का पुत्र रोशन सिंह डीपीएस में 12 वीं कक्षा में, रोहित सिंह व नेहा सिंह डीएवी बरियातू के नौंवी व सातवीं कक्षा में,अनिल सिंह के पुत्र विकास सिंह गोसस्नर कॉलेज से बीबीए व आकाश कुमार कांके रोड स्थित कैंब्रियन स्कूल के नौवीं व पुत्री मीनू कुमारी बरियातू के डीएवी में कॉमर्स के प्लस टू, गौरी शंकर उपाध्याय के पुत्र सुनील व नवेंदु उपाध्याय व पुत्री रीतम कुमारी हैं. सुनील पढ़ाई पूरी कर प्राइवेट नौकरी कर रहा है, जबकि नवेंदु टय़ूशन पढ़ा कर कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहा है.
मदन नायक के दो पुत्र पवन नायक 12 वीं में पढ़ रहा है, जबकि नवीन नायक दसवीं व दो पुत्री रिद्धि सातवीं व सिद्धि पांचवीं में पढ़ाई कर रहे हैं. लालू उरांव के पुत्र जयंत उरांव कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं.
डीएनए व सामान की पहचान करने जायेंगे केदारनाथ: बहुत से शव के कंकाल अब भी जंगल में मिले हैं. साथ ही मोबाइल, घड़ी व चप्पल मिले हैं. उत्तराखंड सरकार ने कंकाल के डीएनए जांच की बात कही है. परिजन समान की पहचान करने व डीएनए टेस्ट कराने उत्तराखंड जाने पर विचार कर रहे हैं.