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रांची : दिसंबर के अंत तक अंतरिक्ष में तीन रॉकेट छोड़ेगा भारत

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस सोमनाथ ने दी जानकारी रॉकेट साइंस के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा शोध करने की आवश्यकता राजेश तिवारी रांची : इस वर्ष के अंत तक भारत अंतरिक्ष में तीन रॉकेट छोड़ने की तैयारी में है. इसके लिये इसरो, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर समेत अन्य स्पेस एजेंसियां तैयारी में […]

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस सोमनाथ ने दी जानकारी
रॉकेट साइंस के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा शोध करने की आवश्यकता
राजेश तिवारी
रांची : इस वर्ष के अंत तक भारत अंतरिक्ष में तीन रॉकेट छोड़ने की तैयारी में है. इसके लिये इसरो, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर समेत अन्य स्पेस एजेंसियां तैयारी में लगी हुई हैं. रॉकेट की डिजाइन लगभग पूरी हो चुकी है.
जो रॉकेट लांच किये जा रहे हैं इनमें पीएसएलवी, जीएसएलवी व जीएसएलवी मार्क-3 शामिल है. विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस सोमनाथ ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी. श्री सोमनाथ बीआइटी मेसरा में शनिवार से शुरू हुए एयरोस्पेस इंजीनियरों के 32वें राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि थे.
कार्यक्रम के बाद प्रभात खबर से बातचीत में श्री सोमनाथ ने बताया कि दो माह के अंदर तीन रॉकेट लांच करने की तैयारी हो रही है. यह अपने देश के लिए बड़ी उपलब्धि होगी. सबसे पहले जीएसएलवी मार्क-3 को लांच किया जायेगा. इसे 14 नवंबर को छोड़ा जायेगा. वहीं, नवंबर के अंतिम सप्ताह में पीएसएलवी को और दिसंबर के अंतिम सप्ताह में जीएसएलवी को लांच किया जायेगा. इसकी तैयारी अंतिम चरण में है. मिशन चंद्रयान-2 को लक्ष्य मानकर इसे तैयार किया गया है.
अंतरिक्ष तकनीक में बड़ा बदलाव होगा
श्री सोमनाथ ने कहा कि जीएसएलवी मार्क-3 की लांचिंग को अंतरिक्ष तकनीक में बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. जीएसएलवी मार्क-3 अंतरिक्ष आधारित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके हाइ स्पीड वाली इंटरनेट सेवा मुहैया करा पाने में सक्षम है. इससे इंटरनेट की स्पीड बढ़ेगी. जहां फाइबर ऑप्टिकल नहीं है वहां इसका फायदा मिलेगा.
क्या है जीएसएलवी मार्क-3
जीएसएलवी इसरो का सेटेलाइट लांच व्हीकल है. इसका पूरा नाम जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल है. इस रॉकेट को इसरो ने विकसित किया है.
क्या है पीएसएलवी
पीएसएलवी का पूरा नाम पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल है. पीएसएलवी एक सेटेलाइट हाइ स्पीड रिमोट सेंसिंग उपग्रह है, जिसे धरती से 600 से 900 किमी की ऊंचाई में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है.
रॉकेट साइंस के जरिये ही आज हम ग्रह तक पहुंच पाये हैं
बीआइटी मेसरा के रॉकेट्री डिपार्टमेंट की ओर से एडवांस इन एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी विषय पर दो दिवसीय सेमिनार 28 अक्तूबर तक चलेगा.
श्री सोमनाथ ने कहा कि आज हम रॉकेट साइंस के जरिये ग्रह पर पहुंच रहे हैं. हमें इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा शोध करने की आवश्यकता है. उन्होंने पीएसएलवी व जीएसएलवी मार्क-3 की तैयारी के साथ-साथ पीएसएलवी के चौथे स्टेज के बारे में भी कई बातें बतायी. साथ ही विक्रम साराभाई मेमोरियल लेक्चर पेपर का प्रेजेंटेशन भी दिया.
उन्होंने बताया कि सरकार से काफी सहयोग मिल रहा है, जिसका लाभ देश को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में दो रॉकेट छोड़े गये थे. लेकिन, वर्ष 2018-19 में हम एक साथ तीन रॉकेट छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. सेमिनार में पद्मश्री आरएम बसागम ने भी अपनी बातें रखीं.
कार्यक्रम में बीआइटी मेसरा के कुलपति डाॅ मनोज कुमार मिश्रा, रॉकेट्री डिपार्टमेंट के डॉ सुदीप दास, आयोजन समिति के सचिव डॉ प्रियांक कुमार के अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स झारखंड स्टेट सेंटर के संजय सेन व एमआर कुमार समेत रॉकेट्री डिपार्टमेंट के कई फैकल्टी मौजूद थे.

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