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उर्वरक व खनिज लवण का विकल्प फ्लाइ एश

रांची: कैप्टिव पावर प्लांट से निकलनेवाला फ्लाइ एश का उपयोग अब यूरिया, पोटाश, फॉस्फोरस जैसे उर्वरकों के विकल्प के रूप में होने लगा है. नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) ने प्रदूषण की दृष्टिकोण से खतरनाक माने जानेवाले इस पदार्थ को खेती में उपयोग करने की हरी झंडी दी है. एनटीपीसी ने इसके उपयोग संबंधी मानक […]

रांची: कैप्टिव पावर प्लांट से निकलनेवाला फ्लाइ एश का उपयोग अब यूरिया, पोटाश, फॉस्फोरस जैसे उर्वरकों के विकल्प के रूप में होने लगा है.

नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) ने प्रदूषण की दृष्टिकोण से खतरनाक माने जानेवाले इस पदार्थ को खेती में उपयोग करने की हरी झंडी दी है. एनटीपीसी ने इसके उपयोग संबंधी मानक भी तय किया है. एनटीपीसी से प्रेरित होकर उषा मार्टिन ने फ्लाइ एश का खेती में उपयोग की संभावनाओं का ट्रायल किया है. इसका उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिला है.

उषा मार्टिन के टाटीसिलवे स्थित कैप्टिव पावर प्लांट परिसर में प्रयोग के तौर पर खेती योग्य भूमि में एलोविरा, खीरा, करेला, मक्का, भिंडी, गेहूं, आलू, मिर्च व पपीता समेत कई तरह के पौधे लगाये गये. उनमें गोबर खाद के साथ-साथ उर्वरक के स्थान पर फ्लाइ एश डाला गया. इससे पौधे काफी स्वस्थ व मजबूत हुए और इनका उत्पादन भी अच्छा हुआ.

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