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वायु प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलायेंगे सरयू
रांची : मंत्री सरयू राय बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरूक करने और सरकारी तंत्र को सक्रिय करने का अभियान चलायेंगे. खासकर कोल और दूसरे खनिज उत्खनन क्षेत्रों में कानून को कारगर तरीके से लागू कराने के लिए जनदबाव बनायेंगे. इसके तहत राज्य भर में प्रदूषण हेल्प लाइन खोले जायेंगे. इसमें पर्यावरण प्रदूषण […]
रांची : मंत्री सरयू राय बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरूक करने और सरकारी तंत्र को सक्रिय करने का अभियान चलायेंगे. खासकर कोल और दूसरे खनिज उत्खनन क्षेत्रों में कानून को कारगर तरीके से लागू कराने के लिए जनदबाव बनायेंगे. इसके तहत राज्य भर में प्रदूषण हेल्प लाइन खोले जायेंगे. इसमें पर्यावरण प्रदूषण को लेकर लोग अपनी शिकायत कर सकते हैं. तालाब, नदियों, वायु सहित आसपास कल-कारखानों के प्रदूषण की शिकायत इस हेल्प लाइन तक पहुंचा सकते हैं. कॉल सेंटरों से मिलने वाली शिकायतें अधिकारियों तक पहुंचायी जायेंगी.
इसके साथ वह 14 से 16 दिसंबर तक राज्य में पर्यावरण पाठशाला का आयोजन करेंगे. राज्य भर से चुने गये 100 लोगों को प्रशिक्षित कर पर्यावरण मित्र बनाया जायेगा. प्रदूषण नियंत्रण के लिए यह आमलोगों को जागरूक बनायेंगे. प्रदूषण से संरक्षण के लिए लोगों को उनके अधिकारों की भी जानकारी दी जायेगी. मंत्री श्री राय ने बताया कि पिछले दिनों विशेषज्ञों की एक टीम के साथ उन्होंने कोल क्षेत्र खेलारी, डकरा, पिपरवार सहित कई इलाके का दौरा किया. इन इलाकों में स्थिति भयावह है.
आम जीवन अस्त-व्यस्त है. जमीन बंजर हो रहे हैं. कंपनी और ट्रांसपोर्टर कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. पर्यावरण के कानून की परवाह किये बिना खनिजों की ढुलाई और उत्खनन का काम चल रहे है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपना काम नहीं कर रहा है. पर्यावरण स्वीकृति और तय मापदंड को नजर अंदाज कर काम हो रहा है. प्रदूषण बोर्ड को सशक्त, कारगर बनाने के लिए उसमें विशेषज्ञों और जानकार लोगों को जगह दी जानी चाहिए. श्री राय ने कहा कि ऐसे कार्यों के लिए पर्यावरण मैनेजमेंट प्लॉन बताया जाता है.
लेकिन, कंसलटेंट जालसाजी करते हैं. कंपनियों के पर्यावरण प्लॉन की जांच होनी चाहिए और कंसलटेंट को ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन इलाकों में तीन लेयर पर पेड़-पौधे लगाने हैं, लेकिन कंपनियों ने एक लेयर में नहीं लगाया. कहीं भी वायु प्रदूषण को नापने के लिए मॉनिटर नहीं है. मंत्री श्री राय ने कहा कि पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण को लेकर 1986 में सशक्त कानून आया है.
इसमें साफ है कि प्रदूषण नियंत्रण, मॉनिटरिंग और नीतिगत फैसले के लिए तीन स्तर पर समितियां होनी चाहिए. इसमें विशेषज्ञ, वन विभाग, उद्योग विभाग से लेकर कई क्षेत्र के लोग होते हैं. लेकिन, राज्य में इस तरह की समितियां काम नहीं कर रही हैं.
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