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रांची : ऊर्जा सचिव ने कहा, दो महीने में झारखंड ऊर्जा नीति, 2018 की हो जायेगी घोषणा
24 घंटे बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध हैं रांची : ऊर्जा विभाग के सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा है कि नयी ऊर्जा नीति के तहत सरकार 24 घंटे सातों दिनों अबाधित बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध है. नीति का मूल उद्देश्य ही यही है कि लोगों को अबाधित बिजली मिले. कस्टमर सर्विस को और […]
24 घंटे बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध हैं
रांची : ऊर्जा विभाग के सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा है कि नयी ऊर्जा नीति के तहत सरकार 24 घंटे सातों दिनों अबाधित बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध है.
नीति का मूल उद्देश्य ही यही है कि लोगों को अबाधित बिजली मिले. कस्टमर सर्विस को और बेहतर किया जायेगा. जैसे स्मार्ट मीटर, प्रीपेड मीटर, एडवांस मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, नेट मीटरिंग, स्मार्ट ग्रिड, स्काडा, इलेक्ट्रॉनिक्स व्हीकल आदि के इस्तेमाल बढ़ाये जायेंगे.
ऊर्जा नीति 2018 में उपभोक्ताओं का खासतौर पर ध्यान रखा गया है. नीति की घोषणा दो माह में कर दी जायेगी. श्री कुलकर्णी प्रोजेक्ट भवन में सभागार में ऊर्जा नीति के ड्राफ्ट पर विभिन्न उद्यमी, व्यवसायी, कंपनी आदि के प्रतिनिधियों से सुझाव ले रहे थे.
श्री कुलकर्णी ने कहा कि राज्य सरकार 2019 तक सभी घरों में बिजली कनेक्शन दे देगी. किसानों को बिजली कनेक्शन मुफ्त दिये जायेंगे. क्वालिटी बिजली देने के लिए ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क में सुधार होगा.
इससे बिजली वितरण निगम का घाटा 15 प्रतिशत तक आ जायेगा. उन्होंने बताया कि नयी नीति में बिजली चोरी की सूचना देने वालों को इनाम देने व बिजली चोरी रोकने के लिए नयी तकनीक के इस्तेमाल का प्रावधान है. वर्ष 2023 तक झारखंड को पावर सरप्लस स्टेट बनाने का लक्ष्य है. सिंगल विंडो के माध्यम से निवेशकों को सभी प्रकार के क्लीयरेंस के लिए एक ही कॉमन फार्म दिया जायेगा.
निवेशकों को स्टांप ड्यूटी, निबंधन शुल्क में शत प्रतिशत छूट दी जायेगी. बिजली बेचने पर कोई अलग से टैक्स नहीं लिया जायेगा. ट्रांसमिशन सेक्टर में निवेश को बढ़ावा दिया जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि जो भी सुझाव आ रहे हैं उसे सरकार नीति में शामिल कर फाइनल नीति दो माह में घोषित कर देगी.
उपभोक्ताओं के सवालों का जवाब देते हुए श्री कुलकर्णी ने कहा कि सरकार ग्रिड बैलेंसिंग सिस्टम लाना चाहती है. ताकि कहीं भी एक लाइन बाधित हो तो तुरंत दूसरी लाइन से बिजली दी जा सके. रांची में इसे जल्द ही शुरू कर दिया जायेगा. फिर अन्य शहरों में भी शुरू किया जायेगा.
आज डीवीसी कमांड एरिया में पावर फेल होने पर बोर्ड निरीह हो जाता है क्योंकि उसका अपना ट्रांसमिशन सिस्टम कमांड एरिया में नहीं है. पर यहां भी लाइन बिछाने का काम हो रहा है. ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण में 10 हजार करोड़ रुपये निवेश की जरूरत है. पावर प्लांट को भी सब्सिडी देने के लिए सरकार से बात की जायेगी. बैठक में ट्रांसमिशन के एमडी निरंजन कुमार, ऊर्जा विभाग के मुख्य अभियंता विजय कुमार, बिजली वितरण निगम के मुख्य अभियंता सुनील ठाकुर समेत चेंबर के सदस्य, उद्यमी व व्यवसायी शामिल थे.
विभिन्न कंपनियों के अधिकारियों ने क्या दिये सुझाव
कहा जा रहा है कि पावर पॉलिसी उपभोक्ता आधारित है, पर मीटिंग में देखा जा रहा है कि उपभोक्ता ही गौण हैं, टीएंडडी लॉस कैसे कम किया जायेगा.
अजय भंडारी, एफजेसीसीआइ
जो पुराने एमओयू हैं क्या उनके लिए भी 35 प्रतिशत बिजली देने की बाध्यता होगी. पर्यावरण सुरक्षा शुल्क ज्यादा है वह भी तब जब पावर प्लांट लगाने वाली कंपनियां ऐसी मशीनें लगा रही हैं जिनसे कम से कम पर्यावरण का नुकसान हो.
अमृतांशु प्रसाद, अडाणी पावर
क्वालिटी पावर की व्यवस्था की जाये ताकि उपभोक्ताओं के घरों में एक सेकेंड के लिए भी बिजली न कटे.
शैलेश वर्मा, टाटा स्टील
पावर प्लांट को उद्योग नीतिके तहत सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाता. जबकि पावर प्लांट भी एक प्रकार का उद्योग है. वेस्ट कोल का इस्तेमाल करनेवाले पावर प्लांट को अतिरिक्त सब्सिडी का लाभ अब तक नहीं दिया गया है. नयी नीति में इसका प्रावधान किया जाये.
संजय सिंह, इनलैंड पावर
कैप्टिव पावर प्लांट लगानेवालों को और भी छूट दिये जाने चाहिए.कोल गैस व अन्य नयी तकनीक के पावर प्लांट पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.
एएन चौबे, जुस्को
बोले महेश पोद्दार, पावर पॉलिसी का ड्राफ्ट जनता के लिए, तो फिर इतनी पर्दादारी क्यों
रांची : झारखंड की ऊर्जा नीति के ड्राफ्ट पर चर्चा करने के लिए ऊर्जा विभाग द्वारा बुलायी गयी बैठक के पूर्व कोई प्रचार-प्रसार नहीं किये जाने की राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने आलोचना की है. उन्होंने ट्वीट किया है कि कुछ दिनों पहले ही पॉलिसी का ड्राफ्ट अपलोड किया गया है.
कोई सार्वजनिक सूचना नहीं. कोई प्रचार-प्रसार नहीं. अगर पॉलिसी जनता के लिए है, तो जनता से इतनी पर्दादारी क्यों. उन्होंने आगे लिखा या है कि कुछ दिनों पहले बुलायी गयी मीटिंग में एफजेसीसीआइ को नहीं बुलाया गया. मंगलवार की मीटिंग में उपभोक्ताओं के प्रतिनिधि के रूप में चेंबर एकमात्र आमंत्रित संस्था है. किसी उपभोक्ता संगठन को आमंत्रण नहीं. जेसिया को आमंत्रण नहीं. ये तौर-तरीके संदेह तो उत्पन्न करेंगे. यह भी लिखा है कि मुझे याद है कि केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने पॉलिसी पर फीडबैक लेने के लिए हजारों चिट्ठियां लिखी थी, पर्याप्त समय दिया था.
झारखंड के ऊर्जा विभाग को इतनी हड़बड़ी क्यों है? ड्राफ्ट पॉलिसी के उद्देश्य में ही वर्णित है कि पॉलिसी का पहला लक्ष्य उपभोक्ता हितों की सुरक्षा है, लेकिन ऊर्जा विभाग जो तरीका अपना रहा है, उसमें पहली बलि उपभोक्ता हितों की ही दी जा रही है.
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