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रांची : को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में सीइओ सहित 15 पदाधिकारी दोषी पाये गये

शकील अख्तर पूर्व महाप्रबंधक की शिकायत के बाद मामले की जांच करायी गयी रांची : को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में बैंक के वर्तमान सीइओ ब्रजेश्वरनाथ सहित 15 पदाधिकारियों को दोषी पाया गया है. कृषि सहकारिता सचिव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से कराने की अनुशंसा की है. सचिव […]

शकील अख्तर
पूर्व महाप्रबंधक की शिकायत के बाद मामले की जांच करायी गयी
रांची : को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में बैंक के वर्तमान सीइओ ब्रजेश्वरनाथ सहित 15 पदाधिकारियों को दोषी पाया गया है. कृषि सहकारिता सचिव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से कराने की अनुशंसा की है.
सचिव द्वारा की गयी अनुशंसा पर विभागीय मंत्री की सहमति के बाद इसे सरकार को भेज दिया गया है. को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व महाप्रबंधक की शिकायत के बाद विभाग की ओर से करायी गयी जांच में उक्त पदाधिकारियों को वित्तीय अनियमितताओं में दोषी पाया गया है.
पूर्व महाप्रबंधक सुशील कुमार द्वारा की गयी शिकायत पर विभागीय सचिव पूजा सिंघल ने निबंधक सहयोग समितियों को जांच का आदेश दिया था.
निबंधक श्रवण सोय ने विभाग को सौंपी रिपोर्ट में अनियमितताओं के लिए अलग-अलग पदाधिकारियों को दोषी करार दिया है. रिपोर्ट में बैंक के वर्तमान सीइओ ब्रजेश्वरनाथ को पॉश मशीन खरीद चेक बुक प्रिंटिंग में हुई अनियमितता के लिए दोषी करार दिया गया है.
डॉ प्रफुल्ल रंजन (तत्कालीन सीइओ), परितोष पाठक (परियोजना प्रबंधक), संजय सिंह (तकनीकी प्रबंधक), मुकेश कुमार (प्रबंधक), सुनील कुमार (प्रबंधक) व सुशीला मिंज (सहायक प्रबंधक) को ग्लोसाइन बोर्ड बनवाने के मामले में दोषी करार दिया गया है.
पूर्ववर्ती गुमला-सिमडेगा को-ऑपरेटिव बैंक में कर्मचारियों की सेवा नियमित करने के मामले में तथ्यों को छिपाने के लिए संदीप सेन को दोषी करार दिया गया है.
बैंक की सरायकेला शाखा में कर्ज देने के मामले में हुई गड़बड़ी के लिए ब्रजेश्वरनाथ, मनोज नाथ लाल शाहदेव और सुनील कुमार सत्पति को दोषी पाया गया है. चाईबासा को-ऑपरेटिव बैंक में कर्ज देने के मामले में इन अधिकारियों के साथ ही बीके नारायण, राजेश मिंज, सिद्धेश्वर बिरली और बिरेंद्र कुमार सवाइयां को दोषी करार दिया गया है. शहीद चौक स्थित कोऑपरेटिव बैंक के भवन की मरम्मत के दौरान हुई अनियमितताओं के लिए विजय कुमार सिंह और जयदेव प्रसाद सिंह को दोषी करार दिया गया है. उमेशचंद्र सिंह को रिटायर होने से एक साल पहले संविदा पर नियुक्त करने या अवधि विस्तार देने के मामले में विजय कुमार सिंह, ब्रजेश्वरनाथ और मनोजलाल नाथ को दोषी करार दिया गया है.
इस मामले में कहा गया कि झारखंड राज्य सहकारी बैंक सर्विस रूल 2015 में संविदा पर नियुक्त करने या अवधि विस्तार देने का प्रावधान नहीं है. प्रारंभिक जांच के दौरान को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में सीइओ के ही शामिल होने के मामले को अत्याधिक गंभीर बताते हुए सचिव ने पूरे मामले की एसीबी से जांच की अनुशंसा की है. विभागीय मंत्री रणधीर सिंह ने भी अपनी सहमति दे दी है.

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