रांची : जमशेदपुर में 10 कंपनियों ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को 1.60 करोड़ रुपये की चपत लगायी है. जमशेदपुर में लगातार हो रही बिजली की चोरी के बाद ऊर्जा विभाग ने एसआइटी गठित कर इसकी जांच करायी थी.
एडीजे अनिल पालटा ने पूरे मामले की जांच की थी. उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट ऊर्जा विभाग को सौंप दी है. इसमें बिजली वितरण निगम लिमिटेड के मुख्य अभियंता (सीएंडआर) से लेकर जमशेदपुर के मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और कई कार्यपालक अभियंताओं पर कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है.
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ऊर्जा विभाग के सचिव सह सीएमडी नितिन मदन कुलकर्णी ने सभी दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश एमडी जेबीवीएनएल को दिया है.
बताया गया कि एडीजे अनिल पालटा की एक सदस्यीय एसआईटी ने जांच में ऐसी करीब 10 कंपनियों को चिह्नित किया है, जिन्होंने बिजली कनेक्शन लेने से पहले विभाग को देनेवाली सिक्यूरिटी मनी में भारी गड़बड़ी की है. जिसके कारण बिजली वितरण निगम को 1.60 करोड़ रुपये की चपत लगी है.
चेक बाउंस किया पर कार्रवाई नहीं
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी 10 कंपनियां हैं, जिन्होंने बिजली कनेक्शन लेने के एवज में विभाग को सिक्यूरिटी मनी देने में गड़बड़ी की है.
गौरतलब है कि विभाग कंपनी की सहूलियत के लिए सिक्यूरिटी मनी किस्तवार भी लेता है. इसके एवज में कंपनी विभाग को पीडीसी (पोस्ट डेटेड चेक) देती है. इस मामले में कई कंपनियों के पीडीसी भी बाउंस कर गये. लेकिन, विभाग की तरफ से कंपनियों पर कार्रवाई नहीं की गयी.
इन कंपनियों पर है गबन का आरोप
हिमाद्री स्टील प्राइवेट लिमिटेड : कंपनी ने विभाग के 36 लाख रुपये, जो सिक्यूरिटी मनी के तौर पर देने थे, उसे बकाया रखा था. बाद में कंपनी ने 21 लाख रुपये विभाग को दिये. जांच शुरू होते देख कंपनी ने और 15 लाख रुपये विभाग में जमा करवाये.
जगदंबा इंगोटेक स्टील प्राइवेट लिमिटेड : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के 2.40 लाख रुपये बकाया रखे हैं.
हरिओम स्मेलटॉन प्राइवेट लिमिटेड : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के 36 लाख रुपये बकाया रखे थे. बाद में 18 लाख रुपये विभाग को दिये. अभी भी कंपनी पर विभाग के 18 लाख रुपये बकाया हैं.
तारा इंगोट इंडस्ट्री : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के 69.30 लाख रुपये बकाया रखे हैं.
केएवाइएस मेन्युफैक्चर लिमिटेड : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के 16.56 लाख रुपये बकाया रखे हैं. 2012 के बाद से कंपनी ने भुगतान करना बंद कर दिया.
स्टैंड कमोडिटी प्राइवेट लिमिटेड : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के 16.17 लाख रुपये बकाया रखे हैं. वर्ष 2000 के बाद से ही कंपनी ने भुगतान करना बंद कर दिया.
बालाजी इंडस्ट्री : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के 10 लाख रुपये बकाया रखे हैं. 2008 के बाद से कंपनी ने भुगतान करना बंद कर दिया.
एलॉय प्राइवेट लिमिटेड : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के 7.20 लाख रुपये बकाया रखे हैं. 2010 के बाद भुगतान करना बंद कर दिया.
लॉर्ड बालाजी मेन्यूफैक्चर एंड स्टील : कंपनी ने सिक्यूरिटी मनी के तीन लाख रुपये बकाया रखे हैं. मई 2005 के बाद से भुगतान करना बंद कर दिया.
अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा
जांच रिपोर्ट में पूरे मामले में गड़बड़ी के दोषी कार्यपालक अभियंता सप्लाई, चीफ इंजीनियर (सीएंडआर), जीएम और एसइ जमशेदपुर को बताया है.
क्योंकि इनकी जवाबदेही होती है कि सिक्यूरिटी मनी की वसूली करें कोई कंपनी ऐसा नहीं करती है, तो उस कंपनी पर कार्रवाई करने की जवाबदेही भी अभियंताओं की होती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इधर, इस मामले को लेकर ऊर्जा सचिव ने एमडी को तत्काल दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है.
हिसाब-किताब नहीं रखा
जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि बिना विभाग की मर्जी से कंपनी इतनी बड़ी राशि को दबाये नहीं रख सकती है. वहीं, जांच रिपोर्ट में यह बात भी सामने आयी है कि जिन अधिकारियों को हिसाब का लेखा-जोखा रखना था, उन्होंने रजिस्टर तक ठीक से रखना मुनासिब नहीं समझा.
जांच के दौरान कोई भी रजिस्टर अपडेट नहीं पाया गया. कानून के मुताबिक ऐसी कंपनियों से राशि 1.5 फीसदी ब्याज के साथ वसूल करने का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों ने राशि वसूलने की बजाय कंपनी की सहूलियत के लिए रजिस्टर को भी अपडेट नहीं किया.