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रिम्स में नौ महीने बाद शुरू हो जायेगा स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, हमारे करोड़ों रुपये बचेंगे

राज्य के कैंसर रोगियों को राहत देनेवाली एक बड़ी खबर है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ठीक नौ महीने बाद यानी मार्च 2019 तक स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट खुल जायेगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को देश के सभी राज्यों के मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधनों के साथ बैठक की थी, जिसमें यह फैसला लिया […]

राज्य के कैंसर रोगियों को राहत देनेवाली एक बड़ी खबर है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ठीक नौ महीने बाद यानी मार्च 2019 तक स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट खुल जायेगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को देश के सभी राज्यों के मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधनों के साथ बैठक की थी, जिसमें यह फैसला लिया गया है. बैठक में शामिल होकर लौट रहे रिम्स निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव ने प्रभात खबर को फोन पर इसकी जानकारी दी है.

रांची : दिल्ली एयपोर्ट पर रांची रवाना होने से पहले प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत में रिम्स निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव ने बताया कि से बैठक में उनसे स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की प्रगति की जानकारी ली गयी है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि रिम्स को स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए 38 करोड़ रूपये का अनुदान भेज दिया गया है. रिम्स प्रबंधन ने अब तक इस अनुदान की राशि का क्या उपयोग किया है.
जवाब में डॉ श्रीवास्तव ने मंत्रालय को बताया कि रिम्स को राशि दो माह पहले प्राप्त हुई है. रिम्स में पहले से ही कैंसर का सुपर स्पेशियलिटी विंग संचालित हो रहा है, जहां रेडियोथेपी से कैंसर का इलाज किया जा रहा है.
रेडियाथेरेपिस्ट है, जो अपनी सेवा दे रहे हैं. विंग में मेडिकल अंकोलॉजिस्ट व अंको सर्जन के नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. मंत्रालय द्वारा रिम्स निदेशक को मार्च 2019 तक कार्य पूर्ण होने की लिखित सूचना देने काे कहा गया है.
अगले माह हो जायेगी कैंसर विंग में डॉक्टरों की नियुक्ति : डॉ श्रीवास्तव ने मंत्रालय को बताया कि केंद्र से अनुदान राशि मिलने के बाद रिम्स प्रबंधन द्वारा मेडिकल अंकोलॉजिस्ट और अंको सर्जन के नियुक्ति की प्रक्रिया तेज कर दिया है. कैबिनेट और विधानसभा से उक्त दोनों पदाें के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की अनुमति मिल गयी है. रिम्स प्रबंधन द्वारा रोस्टर तैयार किया जा रहा है. विभाग से रोस्टर क्लियरिंग की अनुमति मिलने के बाद आवेदन निकाल कर जुलाई तक कैंसर विशेषज्ञ डाॅक्टरों को नियुक्त कर लिये जाने की उम्मीद है.
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रिम्स निदेशक को मार्च 2019 तक कार्य पूर्ण होने की लिखित सूचना देने काे कहा मंत्रालय ने
अभी रिम्स के कैंसर सुपर स्पेशियलिटी विंग में रेडियोथेपी से होता
है कैंसर का इलाज
कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए मेडिकल अंकोलॉजिस्ट और अंको सर्जन के नियुक्ति की प्रक्रिया हुई तेज
कैबिनेट और विधानसभा से मिल गयी है नियुक्ति की अनुमति, तैयार किया जा रहा है रोस्टर
राज्य में प्रतिवर्ष कैंसर के 6,000 नये मरीज सामने आते हैं
राज्य में प्रतिवर्ष करीब 6,000 नये कैंसर के मरीज चिह्नित होते हैं. हालांकि, इसका अब तक कोई ठोस आंकड़ा सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है. सरकार के पास इसके लिए कोई ठोस योजना भी नहीं है. रिम्स के अलावा राज्य के अन्य अस्पतालों के कैंसर डॉक्टरों की ओपीडी में पहुंचेवालों में से उच्च आय वर्ग के कैंसर मरीज अक्सर महानगरों में स्थित बड़े कैंसर अस्पतालों का रुख कर लेते हैं. मध्य वर्ग के लोग भी महानगर में ही इलाज कराने चले जाते हैं. जबकि, अत्यंत गरीब मरीज ही रिम्स या निजी अस्पतालों में इलाज कराते है. करीब 40 से 50 फीसदी मरीज मुंबई, दिल्ली या वेल्लौर इलाज के लिए जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक हर साल राज्य के लोग कैंसर के इलाज के लिए करीब 25 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों के अस्पतालों में खर्च कर देते हैं.
पुरुषों में मुंह और महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले ज्यादा
राज्य में मुंह के कैंसर से ग्रसित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है. राज्य में कैंसर डॉक्टरों की मानें, तो झारखंड और बिहार में तंबाकू का प्रयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है. खैनी, सिगरेट, बीड़ी का उपयोग यहां ज्यादा होता है, इसलिए यहां मुंह के कैंसर के अलावा फेफड़े का कैंसर भी होता है. वहीं, महिलाओं में स्तन कैंसर और बच्चेदानी के कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं. हालांकि पेट, लिवर और मल के रास्ते में होनेवाले कैंसर के मरीज भी बड़ी संख्या में राज्य में हैं.
गिने-चुने कैंसर अस्पताल
और क्लिनिक हैं झारखंड में
राजधानी में कैंसर के इलाज के लिए निजी अस्पताल व कई छोटे क्लिनिक है. इरबा में निजी अस्पताल क्यूरी कैंसर अस्पताल में जहां सर्जरी, किमीथेरेपी व रेडियोथेरेपी के माध्यम से कैंसर का इलाज किया जाता है. इसके बाद जमशेदपुर का टीएमएच अस्पताल है, जहां मरीजों का इलाज होता है. बीपीएल के कैंसर मरीजों के इलाज की सुविधा भी है, जिसके खर्च का वहन सरकार करती है. वहीं आधा दर्जन कैंसर के छोटे क्लिनिक है, जहां मरीजों को चिकित्सीय परामर्श मिलता है.
यह होगा फायदा : रिम्स में कैंसर इंस्टीट्यूट के खुल जाने से राज्य के कैंसर रोगियाें को राहत मिलेगी. सरकारी अस्पताल में इलाज मिलेगा. इलाज के लिए राज्य से बाहर कैंसर रोगियों को नहीं जाना होगा. जानकारी के अनुसार करीब 50 फीसदी कैंसर रोगी इलाज के लिए हर साल राज्य से बाहर जाते हैं.

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