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मधु दवा और भोजन भी
रांची : समेति के निदेशक सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि मधु दवा और भोजन दोनों है. यह पौराणिक काल से चला आ रहा है. इसके महत्व को कम नहीं समझा जा सकता है. झारखंड में मधु उत्पादन की संभावना को देखते हुए ही मीठी क्रांति योजना की शुरुआत होने जा रही है. इससे किसानों […]
रांची : समेति के निदेशक सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि मधु दवा और भोजन दोनों है. यह पौराणिक काल से चला आ रहा है. इसके महत्व को कम नहीं समझा जा सकता है. झारखंड में मधु उत्पादन की संभावना को देखते हुए ही मीठी क्रांति योजना की शुरुआत होने जा रही है. इससे किसानों की आय भी दोगुनी हो सकती है. ऐसा प्रधानमंत्री भी चाहते हैं.
वह रविवार को रामकृष्ण मिशन सभागार में विश्व मधु दिवस पर आयोजित एक दिनी कार्यक्रम में बोल रहे थे. इसका आयोजन उद्यान निदेशालय ने किया. इस मौके पर कृषि विभाग के उप निदेशक (योजना) विकास कुमार ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई प्रकार की स्कीम विभाग से चल रहा है. मधु अपने घर में उपयोग करने के लिए पैदा करने लगेंगे, तो इसका व्यावसायिक महत्व भी समझ में आने लगेगा. यह कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है.
मोबाइल टावर के आसपास बक्शा रखने से उत्पादन प्रभावित
हार्प प्लांडू के वैज्ञानिक जयमाल सिंह चौधरी ने कहा कि मोबाइल टावर की फ्रिक्वेंसी से मधु मक्खियां परेशान होती हैं. इसका बक्शा टावर के आसपास नहीं रहना चाहिए. मोबाइल टावर का फ्रिक्वेंसी बीच में आने से उनकी दिशा बदल जाती है.
खेतों में प्रयोग होनेवाले कीटनाशी से भी मधु का उत्पादन प्रभावित होता है और गुणवत्ता भी कम हो जाती है. उद्यान निदेशक विजय कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य स्तर पर किसानों को मधुमक्खी पालन वाला बक्शा और निष्काषण यंत्र 40 फीसदी तक अनुदान पर दिया जाता है.
2017-18 में 16 हजार मधु बक्शे का वितरण राज्य सरकार ने किया. कार्यक्रम में बीएयू के डॉ एमके चक्रवर्ती, नाबार्ड के पीएल मोहंता, हार्प प्लांडू के प्रियरंजन ने भी विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन विकास कुमार ने किया. इस मौके पर मधुमक्खी उत्पादन में उल्लेखनीय काम करने वालों को पुरस्कृत किया गया.
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