रांची: स्वास्थ्य मंत्रलय भारत सरकार के प्रजनन व शिशु स्वास्थ्य (आरसीएच) विंग ने नया दिशा निर्देश जारी किया है. इसके तहत आयुष चिकित्सकों को जरूरी प्रशिक्षण देकर उनसे एमबीबीएस डॉक्टरों जैसी सेवा ली जा सकेगी. केंद्र का यह निर्देश रिप्रोडक्टिव, मैटरनल, नियोनेटल एंड चाइल्ड हेल्थ+ एडोलेसेंट हेल्थ (प्रजनन, मातृ, नवजात व शिशु स्वास्थ्य सहित किशोरी स्वास्थ्य या आरएमएनसीएच+ए) कार्यक्रम के लिए है.
इसके अलावा आयुष चिकित्सकों की सेवा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मोबाइल मेडिकल टीम में भी ली जा सकेगी. केंद्र ने राज्य सरकारों को यह सलाह भी दी है कि जहां एमबीबीएस डॉक्टरों या अन्य सुपरवाइजर की सेवा अनुपलब्ध हो, वहां आयुष चिकित्सक देखरेख का काम करें. झारखंड सरकार को भी केंद्र की यह चिट्ठी मिल गयी है.
किस क्षेत्र में क्या काम
मातृ स्वास्थ्य : स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट, सिंड्रोमिक ड्रग मैनेजमेंट ऑफ आरटीआइ/एसटीआइ, लेबर रूम व इंफेक्शन प्रिवेंशन के प्रोटोकॉल का सपोर्टिव सुपरविजन, रक्तचाप माप व अन्य क्वालिटी एएनसी चेक अप का काम, मातृ मृत्यु की रेगुलर रिपोर्टिग व इसकी समीक्षा. शिशु स्वास्थ्य : नवजात की देखभाल संबंधी सेवाएं (बच्चे के जन्म से लेकर पहले 48 घंटे तक अस्पताल में रहना अनिवार्य), आइएमएनसीआइ प्रोटोकॉल के तहत शिशु को डायरिया, निमोनिया व मलेरिया से बचाव, नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जरूरी सेवाएं व बच्चों के शारीरिक विकास की समीक्षा. टीकाकरण : टीकाकरण कार्यक्रम की फिल्ड समीक्षा. परिवार नियोजन : परिवार नियोजन के उपायों की काउंसेलिंग व कॉपर-टी लगाना. किशोरी स्वास्थ्य : आयरन गोली के साप्ताहिक कार्यक्रम संबंधी सेवा.