रांचीः राज्य सरकार के 298 वर्क्स डिवीजन में से 28 फीसदी के पास काम नहीं है. इधर, सरकार ने नियम विरुद्ध 36 वर्क्स डिवीजन का गठन कर लिया है. महालेखाकार ने सभी विभागों के अधीन बने कार्य प्रमंडलों और उसके द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा के बाद इससे संबंधित रिपोर्ट राज्य सरकार को दी है.
महालेखाकार(अकाउंट्स) मनोज सहाय द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न विभागों के अधीन 298 वर्क्स डिवीजन चल रहे हैं. इनमें से सिर्फ 72 प्रतिशत के पास ही काम है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि नियम के तहत 10 लाख रुपये तक के खर्च के लिए वर्क्स डिवीजन का गठन नहीं होना चाहिए. इसके बावजूद राज्य सरकार ने 36 ऐसे वर्क्स डिवीजन का गठन कर लिया है, जो विकास योजनाओं पर सालाना 10 लाख रुपये से कम खर्च करते हैं. वर्क्स डिवीजन के वित्तीय मामलों पर नजर रखने के लिए महालेखाकार कार्यालय के अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करने का प्रावधान है. सरकार ने अधिकतर वर्क्स डिवीजन में डिवीजनल अकाउंटेंट का पद सृजित नहीं किया है.
सरकार के अनुरोध पर महालेखाकार ने वर्क्स डिवीजन में प्रतिनियुक्त किये गये डिवीजनल अकाउंटेंट को दूसरे वर्क्स डिवीजन का अतिरिक्त प्रभार दिया है. सरकार ने किन-किन वर्क्स डिवीजन में डिवीजनल अकाउंटेंट का पद सृजित नहीं किया है इसकी जानकारी भी महालेखाकार को नहीं दी है. कागजात की जांच के दौरान महालेखाकार को जानकारी मिली है कि सरकार ने 28 वर्क्स डिवीजन में डिवीजनल अकाउंटेंट का पद सृजित नहीं किया है. इसमें पेयजल विभाग के आठ , स्वास्थ्य विभाग के चार, जल संसाधन विभाग के सात, पथ निर्माण के दो, ऊर्जा विभाग के एक और पर्यटन विभाग के पांच वर्क्स डिवीजन का नाम शामिल हैं.