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रांची : अपर बाजार में आग लगी, तो भागने तक की जगह नहीं मिलेगी, स्वाहा हो जायेंगी सैकड़ों दुकानें, कई जानें भी

संकरी हैं सड़कें, एक-दूसरे से सटी हैं दुकानें, सुरक्षा के कोई इंतजाम भी नहीं हैं राजधानी के कचहरी रोड स्थित गोपाल कॉम्प्लेक्स में साेमवार शाम भीषण आग लग गयी थी. हालांकि, अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों की तत्परता से कॉम्प्लेक्स में रहनेवाले करीब 45 लोगों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया. इस घटना के बाद एक […]

संकरी हैं सड़कें, एक-दूसरे से सटी हैं दुकानें, सुरक्षा के कोई इंतजाम भी नहीं हैं
राजधानी के कचहरी रोड स्थित गोपाल कॉम्प्लेक्स में साेमवार शाम भीषण आग लग गयी थी. हालांकि, अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों की तत्परता से कॉम्प्लेक्स में रहनेवाले करीब 45 लोगों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया. इस घटना के बाद एक बार फिर राजधानी के बाजारों और बहुमंजिली इमारतों में सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल उठने लगे हैं. घटना के दूसरे दिन प्रभात खबर की टीम ने शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाके अपर बाजार का मुआयना किया और यहां मौजूदा दुकानों और प्रतिष्ठानों में सुरक्षा इंतजामों की पड़ताल की.
चिंताजनक है स्थिति
रांची : अपर बाजार के किसी प्रतिष्ठान में अगर आग लग गयी, तो कई लोगों की जान जाना तय है. उस स्थिति में लोगों को भागने के लिए भी जगह तक नहीं मिलेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस बाजार में दुकानें एक-दूसरे सटी हुई हैं. साथ ही यहां की ज्यादातर गलियां और सड़कें काफी संकरी हैं. यहां पूरे दिन खरीदारों और दुकानदारों से भरा रहता है.
अपर बाजार की रंगरेज गली, रंगरेज गली से सटा पेपर मार्केट, रणधीर वर्मा स्ट्रीट(सोनार पट्टी), लोहा पट्टी, मौलाना आजाद कॉलेज वाला रोड, महावीर चौक, श्रद्धानंद रोड इतना संकीर्ण रोड है कि आग लगने पर वहां फायर ब्रिगेड का वाहन नहीं पहुंच पायेगा. जुगत लगाते-लगाते वहां जान माल का काफी नुकसान हो जायेगा. बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, इसलिए ज्यादातर दुकानदार और खरीदार सड़क पर ही गाड़ी खड़ी करते हैं, जिससे सड़कें और संकरी हो जाती हैं.
प्रतिदिन 30 हजार लोगों का है आना-जाना
रंगरेज गली के कुछ दुकानदारों ने बताया कि यहां के दुकानदारों के कारण ही लोगों को परेशानी होती है. रोड तो लगभग 14 फीट चौड़ा है. यहां प्रतिदिन से 25 से 30 हजार लोगों का आना-जाना होता है. सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानों को छह से सात फीट बढ़ा लिया है. उसके बाद दुकान के सामने उन्हीं की बाइक पार्क की रहती है. दोनों और पार्किंग किये जाने के कारण रोड मात्र दो फीट से तीन फीट रह जाता है. लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. यदि आग लगी तो पूरा रंगरेज गली प्रभावित हो जायेगा. कितनी जानें जायेंगी, इसका तो अंदाजा नहीं लगया जा सकता.
जिला प्रशासन, निगम और ट्रैफिक पुलिस को सख्ती से वैसे दुकानदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए. दुकानदारों ने कहा कि यदि ग्राहक वाहन लेकर आते हैं, तो वह आधा घंटा या बहुत देर किये तो एक घंटा में खरीदारी कर चले जायेंगे. लेकिन, दुकानदाराें का वाहन हमेशा यहां लगा रहता है. संडे को सारी दुकानें बंद रहती हैं, उस दिन यहां की सड़कें काफी चौड़ी दिखती हैं.
श्रद्धानंद रोड में चार पहिया वाहनों के कारण लगा रहता है जाम
श्रद्धानंद रोड में आग लगी तो यहां भी फायर ब्रिगेड के वाहन को पहुंचाने में परेशानी होगी. क्योंकि इस रोड में कांग्रेस भवन के पास चार पहिया वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है.
झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अध्यक्ष व चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रशासनिक सुधार समिति के चेयरमैन प्रवीण लोहिया ने बताया कि इस रोड में दवा के थोक विक्रेता हैं. यहां महीने की 24 तारीख से तीन तारीख तक मेडिकल रिप्रेंजेटेटिव का तांता लगा रहता है और पूरा रोड जाम रहता है. पहले भी इस रोड को वन वे किया गया था. इसे दोबारा से वन वे किया जाना चाहिए.
हालांकि आग लगने की आशंका को देखते हुए बलदेव भवन के सामने वाटर प्वाइंट बनाया गया है. उसीप्रकार हर मॉल में वाटर प्वाइंट बनाया जाना चाहिए. दुकानदार विक्की वर्मा ने बताया कि इस रोड में पहले भी आग लग चुकी है. उस समय काफी परेशानी हुई थी. इसलिए रोड पर वाहनाें को लगाने से रोकना चाहिए. एक रस्सी लगा कर उसी के अंदर पार्क करने का जगह बना देना चाहिए.
किसी मॉल या कॉम्प्लेक्स के सामने 12 फीट जगह छोड़ देना चाहिए. ताकि भीषण आग लगे तो बचाव कार्य करने में या हाइड्रोलिक प्लेटफार्म को लगाने में परेशानी नहीं हो.
आरके ठाकुर, स्टेट फायर ऑफिसर
नगर निगम के टाउन प्लानर उदय शंकर सहाय ने कहा कि गोपाल कॉम्प्लेक्स में लगी आग काे लेकर निगम भी गंभीर है. उन्होंने कहा कि शहर में बननेवाले सभी भवन सुरक्षित हों, इसके लिए ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट को अनिवार्य किया गया है.
हम अब ऐसे भवनों को वाटर कनेक्शन भी नहीं देंगे, जिनके पास निगम द्वारा जारी किया गया ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं होगा. इसके अलावा रजिस्ट्री ऑफिस में ऐसे अपार्टमेंट के फ्लैट का भी रजिस्ट्रेशन नहीं होगा, जिसका ऑक्यूपेंसी बिल्डर ने निगम से प्राप्त नहीं किया हो. हम ऑक्यूपेंसी के नियमों को भी सरल कर रहे हैं. ताकि भवन निर्माता हाथों हाथ इसे ले सकें.
लोगों को भी अब जागरूक होने की जरूरत है. अगर कहीं बिल्डर गड़बड़ी कर रहा है, तो इसकी शिकायत निगम में करें. निगम ऐसे बिल्डरों पर भी कार्रवाई करेगा. जहां तक निगम भवन में फायर फाइटिंग उपकरण की बात है तो इस पर निगम के अभियंता ही बता सकते हैं.
राजधानी में 3050 बहुमंजिली इमारतें सिर्फ 29 ही सुरक्षितरांची : राजधानी में 3050 बहुमंजिली इमारतें हैं, लेकिन इनमें से महज 29 इमारतों को ही रांची नगर नगर निगम से विधिवत ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिला हुआ है. यानी ये 29 भवन ही सुरक्षा मानकों का पूरी तरह से पालन करते हैं. इन भवनों का निर्माण भी निगम से पास नक्शे के अनुरूप हुआ है. ऐसे में शेष 3021 बहुमंजिली इमारतों की सुरक्षा पर सवाल उठना लाजिमी है.
आमतौर पर किसी भवन का नक्शा के पास होने के बाद निगम के अभियंताओं की जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित भवन की जांच करे. वह सुनिश्चित करे कि बिल्डर ने भवन का निर्माण नक्शे के अनुरूप किया है या नहीं. हालांकि, निगम के अभियंता झांकने भी नहीं जाते हैं. अगर किसी भवन की जांच होती भी है, तो उसमें गड़बड़ी सामने आती है. ऐसे मामलों को नगर निगम के नक्शा शाखा ले देकर रफा दफा कर देता है.
इससे बिल्डर भी खुश रहता है और निगम के अधिकारी भी. जबकि, निगम की जवाबदेही बनती है कि उसके क्षेत्र में जो भी इमारतें बनती हैं, उसमें अग्नि निरोधक उपकरण लगे हैं या नहीं. अगर लगे भी हैं, तो वह सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं, इसके लिए अग्निशमन विभाग से जांच कराये.
क्या होता है ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट
आमतौर पर भवन के निर्माण के पूर्व बिल्डर भवन के निर्माण को लेकर नक्शे पास कराने का आवेदन निगम में जमा करते हैं. इसके बाद निगम के अभियंता आवेदक के भूखंड की जांच कर बिल्डर को शर्तों के साथ भवन निर्माण की अनुमति दे देता है. नक्शा पास होने के बाद बिल्डर भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ करता है.
जब भवन बन कर तैयार होता है, तो फिर बिल्डर निगम को पत्र लिखता है कि उसने नक्शे के अनुरूप भवन का निर्माण कर लिया है. इसलिए भवन की जांच कर ऑक्यूपेंसी सट्रिफिकेट निर्गत की जाये. बिल्डर के आवेदन पर निगम के अभियंता दोबारा उस भवन की जांच करते हैं.
इसमें यह देखा जाता है कि संबंधित भवन का निर्माण नक्शे के अनुरूप हुआ है कि नहीं. इस दौरान भवन में फायर फायटिंग, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, तड़ित चालक, पार्किंग आदि की समुचित व्यवस्था देखी जाती है. सब कुछ नक्शे के अनुसार होने के बाद निगम ऐसे भवन को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करता है.
गोपाल कॉम्प्लेक्स के कॉरिडोर में रखे पैकेट में सबसे पहले लगी थी आग
रांची : गोपाल कॉम्प्लेक्स की अधिकतर दुकानों मंगलवार को बंद थीं. भवन के तीसरे, चौथे व पांचवें तल्ले में रहने वाले अधिकतर फ्लैटों में ताला लगा हुआ था. घटना के बाद लोग इस कदर दहशत में थे.
प्रभात खबर ने कॉम्प्लेक्स में काम करनेवाले व यहां दुकान संचालित करने वाले कई लोगों से बातचीत की. लोगों ने बताया कि ड्रेसवाला के संचालक द्वारा इस भवन के पीछे में गोदाम बनाया गया था. गोदाम से निकलने वाले सारे कार्टून कागज और पॉलिथीन को गोदाम के बाहर ही काॅरिडोर में ही रखवा दिया जाता था.
सोमवार शाम भी सबसे पहले इस कचरे के ढेर में ही आग लगी थी. उसके बाद यह आग तुरंत गोदाम तक फैल गयी. जब तक फायर ब्रिगेड को सूचना दी जाती, तब तक आग ने पूरे गोदाम को अपनी आगोश में ले लिया था.
जबकि, कई लोगों का यह भी कहना था कि यहां पर वेल्डिंग का काम चल रहा था, जिसकी चिंगारी से गोदाम में आग लग गयी थी. कचहरी रोड स्थित इस भवन के बेसमेंट से लेकर प्रथम तल व दूसरे तल में कई महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान हैं. लेकिन, इसमें फायर फाइटिंग की समुचित व्यवस्था नहीं थी.
दिन भर निकाला गया मलबा
45 लोगों की बचायी जान, अग्निशमन के अफसरों व कर्मियों को डीजी ने दिया इनाम
प्रभारी अपर राज्य अग्निशमन पदाधिकारी राम कृष्ण ठाकुर को ढाई हजार रुपये. अग्निशामालय पिस्का मोड़ के प्रभारी पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार, डोरंडा के प्रभारी राजकिशोर सिंह, आड्रे हाउस के प्रभारी ध्रुव कुमार साह और अग्निशमन सेवा प्रशिक्षण विद्यालय, धुर्वा के प्रभारी पदाधिकारी संजय कुमार सिन्हा को दो-दो हजार रुपये और एक-एक सुसेवांक दिया गया.
प्रधान अग्नि चालकों में मनोज कुमार सिंह, हराधन कुम्हार, मनोहर कच्छप, आलोक कुमार गौतम, महेंद्र महली, सुमंत कुमार सिंह चौहान, महिपाल कश्यप, लक्ष्मण कुमार, दिनेश कुमार, साधु चरण बानरा और रवि कुमार साहु को डेढ़-डेढ़ हजार रुपये अौर एक-एक सुसेवांक दिया गया.
अग्नि चालकों में विकास कुमार-1, विकास कुमार-2, सुभाष चंद्र मुंडा, राजेश मिंज, बैद्यनाथ राम, जीवन वरदान केरकेट्टा, संजय कुमार, गौरी शंकर पांडेय, उमेश कुमार ठाकुर, अमित कुमार, रजत कुमार मिंज, दिनेश कुमार गुप्ता, मो. शहजाद अंसारी, बुधनाथ उरांव, चमरा केरकेट्टा, संतोष कुमार, ललन यादव, लॉरेंस केरकेट्टा को एक-एक हजार रुपये और एक-एक सुवेसांक दिया गया.
गोपाल कॉम्प्लेक्स कमेटी ने ड्रेसवाला के संचालक पर दर्ज करायी प्राथमिकी
रांची : गोपाल कॉम्प्लेक्स सेंट्रल मेंटेनेंस कमेटी ने आग लगने की घटना के लिए ड्रेसवाला को जिम्मेदार ठहराते हुए संचालक अनिल चौधरी पर प्राथमिकी दर्ज करायी है़. कमेटी का कहना है कि ड्रेसवाला गोदाम के ऊपर चदरा लगा कर डबल स्टोरेज के लिए वेल्डिंग करा रहे थे, उसी के चिंगारी से आग लगी. इससे पहले मंगलवार को कमेटी की एक बैठक हुई.
कमेटी के अध्यक्ष केके पोद्दार, सचिव त्रिलोकी सिंह, कोषाध्यक्ष राजू बंसल तथा कमेटी के निर्मल टिकमानी व अनिल जालान ने कहा कि ड्रेसवाला के संचालक ने ऑफिशियल वर्क की जगह 10 हजार वर्ग फीट में गोदाम बना दिया है. उसमें कपड़ा, जूता जैसे ज्वलनशील पदार्थ रखा गया है. इतना ही नहीं इलेक्ट्रिक पैनल और मीटर को कार्टन व पटरा से घेर दिया गया है. ऐसे में मीटर में शाॅर्ट सर्किट हुआ, तो तुंरत आग फैल जायेगी. कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि प्रशासन से ड्रेसवाला के गोदाम को सील करने का अाग्रह किया जायेगा.
ड्रेसवाला के संचालक अनिल चौधरी का तबीयत खराब होने कारण उनकी पत्नी नेहा चौधरी ने कहा कि सारा आरोप बेबुनियाद है. वेल्डिंग के दौरान आग लगी तो वेल्डिंग मशीन कहां गयी और वेल्डिंग करने वाले मजदूर कहां गये? खुन्नस निकालने के लिए इस तरह का आरोप लगाया जा रहा है.
रांची नगर निगम के जिम्मे है इमारतों की सुरक्षा उसी के भवन में दुरुस्त नहीं है फायर फाइटिंग
रांची :गोपाल कॉम्प्लेक्स में आग लगने के बाद लोगों का ध्यान शहर की बहुमंजिली इमारतों और शॉपिंग कॉम्पलेक्सों की ओर जा रहा है. मंगलवार को प्रभात खबर की टीम ने शहर की बहुमंजिली इमारतों और प्रतिष्ठित मार्केट कॉम्प्लेक्सों का जायजा लिया. इसमें कई चौंकाने वाली जानकारी मिली.
शहर के इमारतों में सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने की जवाबदेही रांची नगर निगम पर है, लेकिन उसी के भवन में फायर फाइटिंग की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. चार मंजिला रांची नगर निगम निगम कार्यालय के भवन में आग से बचाव के नाम पर हर तल्ले पर सिर्फ एक छोटा फायर स्टिंग्विशर टांग दिया गया है. अगर अगलगी की बड़ी घटना हो गयी, बड़ा नुकसान हाेने से इनकार नहीं किया जा सकता है. उधर, शहर के बहुमंजिली इमारतों में बनें शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में भी फायर फाइटिंग की समुचित व्यवस्था नहीं है.
पड़ताल के दौरान चर्च कॉम्प्लेक्स की दीवारों पर किसी प्रकार का फायर फाइटिंग का व्यवस्था नजर नहीं आयी. हालांकि दुकानदारों ने कहा कि वे अपने दुकानों में फायर फाइटिंग के उपकरण रखते हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति रोस्पा टावर की भी थी. क्लब रोड स्थित सिटी सेंटर में तो ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी. यही स्थिति बहूबाजार स्थित एसपीजी मार्ट की थी.
इन 29 भवनों को ही मिला है ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट
जेएससीए इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, धुर्वा
कुमुद साहु चौधरी, एसके चौधरी
पीपी शर्मा व बीएन शर्मा कडरू रांची
संजीव कुमार गुप्ता, सिनेमा कॉम्प्लेक्स फन सिनेमा
नागार्जुन कंस्ट्रक्शन खेलगांव, होटवार रांची
जगमोहन लाल गुप्ता रेडिशन ब्लू होटल
लाल बालनाथ शाहदेव गैलेक्शिया मॉल रातू रोड
होटल एटी इंटरनेशनल मोरहाबादी रांची
संजीव कुमार गुप्ता पार्टनर एलएमबी संस हिनू रांची
त्रिलोकी नाथ महतो एंड अदर्स
संध्या टावर, संध्या रानी दत्ता डंगरा टोली चौक
बंसल बिल्डर एंड डेवलपर्स
सुभाष प्रसाद सिंह
उदय शंकर प्रसाद व अन्य सेंटेविटा अस्पताल
विष्णु कुमार अग्रवाल आदर्श हाइट प्राइवेट लिमिटेड
पार्वती देवी एंड अदर्स अरगोड़ा
जावित्री देवी एंड अदर्स प्रार्थना इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड
भगवान महावीर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर बरियातू रोड
सुभाष चंद्र बोथरा
प्रमोद परसरामपुरिया
राजेश कुमार चौधरी, श्री गणपति होम्स प्राइवेट लिमिटेड
संगीता सिन्हा, बंसल बिल्डर एंड डेवलपर
सतीश चंद्रा एंड शशि शेखर
किरण गुप्ता एंड अदर्स
सबिता मुखर्जी
अजय कुमार बंसल, अमरजीत बंसल एंड जीत पाल बंसल
विमलांग्शु मजूमदार, लोहिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड
चित्तरंजन मारू, सुमित मारू, सिद्धार्थ मारू
प्रेम कुमार मसकरा, पंचवटी बिल्डर

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