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रांची नगर निकाय चुनाव: विकास का मुद्दा व भाजपा की ताकत का दिखा असर, होल्डिंग का मुद्दा रहा गौण
भाजपा के साढ़े तीन साल में किये गये विकास कार्यों का दावा असरदार रहा रांची : नगर निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर भाजपा का विकास का मुद्दा भारी पड़ा. पहली बार दलीय आधार पर हो रहे चुनाव में भाजपा ने अपनी ताकत का भी एहसास कराया. निकाय की 50 प्रतिशत से अधिक सीटों पर […]
भाजपा के साढ़े तीन साल में किये गये विकास कार्यों का दावा असरदार रहा
रांची : नगर निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर भाजपा का विकास का मुद्दा भारी पड़ा. पहली बार दलीय आधार पर हो रहे चुनाव में भाजपा ने अपनी ताकत का भी एहसास कराया. निकाय की 50 प्रतिशत से अधिक सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. रांची नगर निगम समेत पांचों नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. चुनाव में भाजपा के कुल 36 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है.
इसमें नगर परिषद व नगर पंचायत में 13-13 सीटों पर जीत दर्ज की. चुनाव में पार्टी की ओर से कुल 69 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे.
भाजपा चुनाव में विकास को मुद्दा बनाते हुए सरकार के साढ़े तीन साल में किये गये कार्यों को लेकर जनता के बीच गयी थी. वहीं विपक्षी दलों की ओर से संकल्प पत्र जारी कर स्थानीय मुद्दों को आधार बनाया गया था़ इसमें होल्डिंग टैक्स में वृद्धि को भी वापस लेने की बात कही गयी थी. लेकिन इसका प्रभाव वह जनता पर नहीं छोड़ सके. भाजपा की ओर से राज्य में साढ़े तीन साल में किये गये विकास कार्यों का खाखा तैयार किया गया था. पार्टी के सांसद, विधायक, प्रदेश पदाधिकारी व कार्यकर्ता अलग-अलग क्षेत्रों में सरकार की ओर से किये गये कार्यों को लेकर जनता के बीच गये थे. पार्टी की बूथ मैनेजमेंट भी काफी असरदार रही.
इस बार पन्ना प्रमुख बना कर जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अलग-अलग जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने का काम किया था. इसके अलावा 10-10 प्रभारी बनाये गये थे. अलग-अलग मोर्चों के अलग-अलग प्रभारी नियुक्त किये गये थे. इसकी मॉनिटरिंग प्रमंडल प्रभारी कर रहे थे. भाजपा ने किसी चेहरे के बजाय चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी को सामने रखा था. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष की ओर से अलग-अलग चुनाव लड़ने का फायदा भी भाजपा को मिला.
कई निकाय में विपक्षी दलों के बीच आपस में वोट बंट जाने की वजह से भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई. निकाय चुनाव से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन व कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अलग रहे. इसकी वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं में माहौल नहीं बन पाया. प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के नेतृत्व में कांग्रेस की टीम भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी, लेकिन जनता के मिजाज को नहीं समझ सकी.
कांग्रेस नेता लगातार भाजपा पर निशाना साधते रहे. झाविमो व राजद को सक्रिय कार्यकर्ताओं की कमी खली. हालांकि कुछ जगहों पर इन दोनों दलों के प्रत्याशियों ने भी जीत कर पार्टी की लाज बचायी. टिकट बंटवारे के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश भी हुआ. कई जगह बागी उम्मीदवार भी खड़े हुए, लेकिन संगठन की एकजुटता के आगे इसका कोई असर नहीं हुआ. भाजपा ने चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ी. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बुला कर चुनाव कार्य में लगाया. निकाय चुनाव के परिणाम से भाजपा कार्यकर्ताअों में उत्साह दिख रहा है.
लोकसभा व विधानसभा में दिखेगा इसका असर
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसका असर आने वाले लोकसभा व विधानसभा में भी देखने को मिलेगा. जिस प्रकार से विपक्षी दलों के बीच वोटों का बंटवारा हुआ है. अगर विपक्ष एकजुट नहीं हुआ, तो लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को ही फायदा होगा. वहीं दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि निकाय चुनाव को लोकसभा व विधानसभा चुनाव से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है. दोनों चुनाव के मुद्दे भिन्न-भिन्न होते हैं. लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे का प्रभाव पड़ता है. ऐसे में निकाय चुनाव से इसे जोड़कर देखना उचित नहीं है. वहीं विधानसभा चुनाव मेंे राज्य भर के मुद्दे देखे जाते हैं़ िवकास कार्यों की पड़ताल की जाती है. ऐसे में नगर निकाय चुनाव से इसका कोई लेना-देना नहीं है.
प्रथम मेयर और डिप्टी मेयर भाजपा के बने
नगर निगम बनने के बाद मेदिनीनगर में पहली बार चुनाव हुआ. दलीय आधार पर हुए इस चुनाव में भाजपा की अरुणा शंकर पहली मेयर बनीं. वहीं भाजपा के ही राकेश सिंह मेदिनीनगर नगर निगम के पहले डिप्टी मेयर चुने गये. मेदिनीनगर को अब तक नगर पर्षद का दर्जा प्राप्त था. श्रीमती शंकर ने मेयर पद के चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय प्रत्याशी पूनम सिंह को 4543 मतों से पराजित किया. पूनम सिंह वर्तमान में मेदिनीनगर नगर पर्षद की अध्यक्ष थीं. नगर पालिका व नगर पर्षद चुनाव में उनके परिवार का अब तक वर्चस्व था. नगर निगम बनने के बाद हुए पहले चुनाव में क्षेत्र की जनता ने भाजपा के प्रति विश्वास जताया.
भाजपा प्रत्याशी अरुणा शंकर को कुल 15944 मत मिले. जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी पूनम सिंह को 11401 मत मिले. मेयर के साथ-साथ डिप्टी मेयर के पद पर भी भाजपा की जीत हुई. भाजपा के राकेश सिंह उर्फ मंगल सिंह मेदिनीनगर नगर निगम के पहले डिप्टी मेयर बने. डिप्टी मेयर के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज सिंह दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस प्रत्याशी 704 वोट से पराजित हुए. भाजपा के राकेश सिंह उर्फ मंगल सिंह को 18387 मत मिले. निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मनोज सिंह को 17683 मत मिले. पलामू में वर्तमान में भाजपा के बीडी राम सांसद हैं. जबकि आलोक चौरसिया भाजपा के विधायक हैं.
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