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रांची :सरकार के इशारे पर हो रहा है आदिवासियों के साथ अत्याचार
आदिवासी संगठनों ने किया राजभवन मार्च, वक्ताओं ने कहा एसडीओ, डीएसपी को बर्खास्त कर घटना की न्यायिक जांच कराये सरकार विपक्षी दलों के नेता हुए शामिल, राज्यपाल से मिल कर सौंपा ज्ञापन रांची : दो अप्रैल को भारत बंद के क्रम में आदिवासी छात्रावास में की गयी पुलिस कार्रवाई के विरोध में आदिवासी संगठनों और […]
आदिवासी संगठनों ने किया राजभवन मार्च, वक्ताओं ने कहा
एसडीओ, डीएसपी को बर्खास्त कर घटना की न्यायिक जांच कराये सरकार
विपक्षी दलों के नेता हुए शामिल, राज्यपाल से मिल कर सौंपा ज्ञापन
रांची : दो अप्रैल को भारत बंद के क्रम में आदिवासी छात्रावास में की गयी पुलिस कार्रवाई के विरोध में आदिवासी संगठनों और छात्र संगठनों ने राजभवन मार्च किया. मोरहाबादी से कचहरी होते हुए राजभवन तक रैली निकाली गयी. इसमें सभी विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए. झामुमो, कांग्रेस और झाविमो के नेताओं ने आदिवासी संगठनों और छात्रों के साथ मार्च किया.
राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप कर सदर एसडीओ और डीएसपी को बर्खास्त करते हुए सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दो अधिकारियों को दंडित करने की मांग की गयी. गिरफ्तार संजय महली को रिहा करने, घायल छात्रों का सरकारी खर्च पर इलाज कराने, छात्रों के खिलाफ किये गये मुकदमों को वापस लेने और घायलों को मुआवजा उपलब्ध कराने की मांग की.
राजभवन के पास हुई सभा को पूर्व मुख्यमंत्री सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस के पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय व पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, सामाजिक कार्यकर्ता व आंदोलनकारी दयामनी बारला, डॉ करमा उरांव, वासवी किड़ो, देवकुमार धान, प्रेमशाही मुंडा, समेत अन्य ने संबोधित किया.
वक्ताओं ने सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि राज्य में लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने की छूट नहीं दी जा रही है. मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. आदिवासी छात्रों को छात्रावासों से बाहर निकलने पर लाठीचार्ज कर रोका गया.
आंसू गैस के गोले दागे गये. महिला छात्रावास में पुरुष पुलिस दरवाजा तोड़ कर घुसे. आदिवासी छात्राओं को मारा-पीटा गया. उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. वक्ताओं ने कहा कि यह सबकुछ सरकार के इशारे पर हो रहा है. आदिवासी समुदाय पर अत्याचार किया जा रहा है.
सरकार के इशारे पर सदर एसडीओ पुलिस की बर्बर कार्रवाई में शामिल रही. महिला होते हुए भी छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार की घटना देख कर मूकदर्शक बनी रहीं. पुलिस को प्रोत्साहित कर छात्रों का कैरियर खत्म करने की धमकी दी. गिरफ्तार छात्रों को पानी तक नहीं दिया. नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही हैं.
आदिवासियों पर अत्याचार कर रही है. यह किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. भाजपा सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी. सड़क पर उतर कर आंदोलन किया जायेगा. इस मौके पर अंतु तिर्की, सुशील उरांव, देवी दयाल मुंडा, सुशील उरांव, सुरेश बैठा समेत बड़ी संख्या में आदिवासी संगठनों और छात्र संघों के प्रतिनिधि मौजूद थे.
सुरक्षा का था पुख्ता इंतजाम
आदिवासी संगठनों के राजभवन मार्च के दौरान सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया था. विभिन्न राजनीतिक व छात्र-संगठनों के प्रतिनिधि हजारों की संख्या में मार्च में शामिल हुए. इस दौरान राजभवन से मोरहाबादी तक बड़ी संख्या में पुलिस के जवानों को भी तैनात किया गया था. हालांकि, पूरी रैली अनुशासित रही. प्रदर्शनकारियों का पुलिस-प्रशासन के बीच कोई टकराव नहीं हुआ.
लगा रहा जाम
राजभवन मार्च में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के शामिल होने की वजह से लंबा जाम लग गया. रेडियम रोड, कचहरी रोड, सर्कुलर रोड व रातू रोड एक घंटे से अधिक समय तक जाम रहा. गाड़ियां रेंग-रेंग कर बढ़ती रहीं. इस दौरान ट्रैफिक पोस्ट से पुलिस के जवान नदारद दिखे.
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