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पूरे झारखंड में 4 लाख से ज्यादा निबंधित बेरोजगार, 51 हजार आइटीआइ व 48 हजार डिप्लोमा होल्डर

बेरोजगारी : 51 हजार आइटीआइ व 48 हजार डिप्लोमा होल्डर रांची : राज्य में निबंधित बेरोजगारों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है. अभी राज्य में चार लाख से अधिक निबंधित बेरोजगार हैं. इनमें करीब 51 हजार आइटीआइ पास व 48 हजार डिप्लोमा होल्डर हैं. हालांकि तकनीकी बेरोजगारों से अलग गैर तकनीकी या सामान्य शिक्षा पाये बेरोजगारों […]

बेरोजगारी : 51 हजार आइटीआइ व 48 हजार डिप्लोमा होल्डर
रांची : राज्य में निबंधित बेरोजगारों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है. अभी राज्य में चार लाख से अधिक निबंधित बेरोजगार हैं. इनमें करीब 51 हजार आइटीआइ पास व 48 हजार डिप्लोमा होल्डर हैं. हालांकि तकनीकी बेरोजगारों से अलग गैर तकनीकी या सामान्य शिक्षा पाये बेरोजगारों की संख्या ही अधिक है.
ये वैसे निबंधित बेराजगार हैं, जिन्होंने रोजगार की आस में राज्य के कुल 44 नियोजनालयों में अपना निबंधन कराया है. इसका जिक्र श्रम विभाग की वेबसाइट jharkhandrojgar.nic.in में है. इसमें कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षित युवा शामिल नहीं हैं, जिन्होंने विभिन्न ट्रेड में प्रशिक्षण लिया है.
कौशल विकास सोसाइटी ने युवाअों को प्रशिक्षित कर रहे ट्रेनिंग सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) को निर्देश दिया है कि वह उनके यहां प्रशिक्षित युवाअों से संबंधित जानकारी हुनर पोर्टल पर अपलोड करें, पर यह पोर्टल विभाग की साइट से लिंक नहीं है. इसलिए मिशन के तहत तथा अभी बेरोजगार युवाअों के आंकड़े नियोजनालय के आंकड़े में शामिल नहीं हैं. इधर, कुल 1754 नियोजक भी विभागीय वेबसाइट पर निबंधित बताये गये हैं.
नियोजनालय अधिनियम का पालन नहीं
सरकार के लगभग सभी विभाग नियोजनालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) अधिनियम-1959 का पालन नहीं कर रहे हैं. देश भर में यह नियम लागू है, जिसके तहत वैसे प्रतिष्ठान, जिनमें 25 या इससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, को अपने यहां रिक्त पदों की सूचना नियोजनालय को देना अनिवार्य है.
सूचना संबंधित पद के साक्षात्कार से कम से कम 15 दिन पहले विहित प्रपत्र में भर कर देनी है. अधिनियम के तहत सभी सरकारी व निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों (25 या अधिक कर्मी वाले) को अपने यहां नियोजित लोगों के बारे में त्रैमासिक विवरणी (इआर-एक) व द्विवार्षिक विवरणी (इआर-दो) अनिवार्य रूप से स्थानीय नियोजनालय को उपलब्ध करानी है. निजी क्षेत्र अधिनियम के इन प्रावधानों का कुछ हद तक पालन तो कर रहे हैं, लेकिन सरकारी विभाग व प्रतिष्ठान ही ऐसा नहीं कर रहे.
क्यों जरूरी है नियम का पालन
अधिनियम बेरोजगारों के लिए न्याय सुनिश्चित तो करता है, साथ ही इसके अनुपालन से राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर मानव संसाधन व इससे संबंधित योजनाओं के लिए सौ फीसदी सही आंकड़े भी उपलब्ध होते हैं. राज्य गठन के बाद से अब तक 17 वर्षों में राज्य के नियोजनालयों पर लगभग सवा सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन इनका अपेक्षित लाभ सरकार व आम जन दोनों को नहीं मिल रहा. वजह है नियोजनालय अधिनियम का पालन नहीं होना.
कितने बेरोजगार
योग्यता संख्या
मध्य विद्यालय पास 10976
10वीं पास 123797
12वीं पास 162277
स्नातक 88940
स्नातकोत्तर 10074
डॉक्टरेट 33
अकुशल 1490
अाइटीआइ 51402
डिप्लोमा 47888
अन्य प्रशिक्षण 4455
किस वर्ग के कितने बेरोजगार
अनुसूचित जनजाति 105830
अनुसूचित जाति 52302
पिछड़ा वर्ग 52302
अन्य पिछड़ा वर्ग 63390
सामान्य 77262
अन्य 1076

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