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झारखंड : पीएम आवास योजना का ये हाल, पक्के मकान की आस में कच्चा मकान तोड़े, निगम ने भी अधर में छोड़ा
II उत्तम महतो II रांची : ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की घोषणा होने के बाद राजधानी रांची के करीब 15 हजार लोगों ने आवास निर्माण के लिए आवेदन दिया था. सूची में नाम आने के बाद रांची नगर निगम के अधिकारियों ने लाभुकों से कहा कि नियमत: उन्हें अब अपना मकान तोड़ना होगा. इसके बाद ही […]
II उत्तम महतो II
रांची : ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की घोषणा होने के बाद राजधानी रांची के करीब 15 हजार लोगों ने आवास निर्माण के लिए आवेदन दिया था. सूची में नाम आने के बाद रांची नगर निगम के अधिकारियों ने लाभुकों से कहा कि नियमत: उन्हें अब अपना मकान तोड़ना होगा. इसके बाद ही नये सिरे से पक्के मकान का निर्माण कार्य शुरू होगा. नगर निगम लाभुकों को निर्माण के आधार पर किस्तों में याेजना की राशि उपलब्ध करायेगा.
निगम का आदेश मिलने के बाद करीब 2000 लाभुकों ने अपने मकान तोड़ दिये. साथ ही आसपास के मकानों में किरायेदार बनकर शिफ्ट हो गये, ताकि अपने मकान को बनता हुआ देख सकें.
लेकिन, इसके बाद उनकी मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गयीं. वादे के मुताबिक लाभुकों को उनके आवास के निर्माण के लिए राशि उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. नतीजतन, पिछले छह महीने से ये लाभुक रोजाना नगर निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. अधिकारी हर बाद उन्हें आश्वासन देकर चलता कर दे रहे हैं कि फिलहाल नगर निगम के पास फंड नहीं है. जैसे ही पैसा आयेगा, निगम लाभुकों को पैसा उपलब्ध करा देगा.
2.25 लाख के मकान के लिए एक लाख किराया देना पड़ेगा : प्रभात खबर संवाददाता ने प्रधानमंत्री आवास योजना के कुछ लाभुकों से बातचीत की. इसमें लाभुकों ने बताया कि जिस प्रकार से निगम राशि देने में विलंब कर रहा है, उससे लग रहा है कि एक मकान को बनाने में कम से कम 18 महीने का समय लगेगा. अभी हम किराये के मकान में रह रहे हैं, जिसका हर माह का किराया 5000 के आसपास है. ऐसे में 18 महीने में हम मकान मालिक को 90 हजार रुपये ताे किराये के रूप में ही दे चुके होंगे.
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए नगर निगम के पास फंड ही नहीं है
सरकार की गाइड लाइन का नहीं हो रहा पालन : लाभुकों को योजना मद में कुल 2.25 लाख रुपये चार किस्तों में दी जानी है. लाभुकों को सही समय पर राशि उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने गाइड लाइन भी जारी की है. इसके तहत फाउंडेशन लेबल तक का कार्य करने पर लाभुक को पहली किस्त के रूप में 45000 रुपये, लिंटर लेबल तक का काम करने पर दूसरी किस्त के रूप में 67500 रुपये, रूफ कास्ट तक का निर्माण करने के बाद तीसरी किस्त के रूप में 45000 रुपये और मकान का काम पूरा हो जाने पर चौथी किस्त के रूप में 67500 रुपये देने का प्रावधान है.
नगर निगम के पास अावास निर्माण का जो भी फंड था, वह समाप्त हो गया है. सरकार से राशि की मांग की गयी थी, तो केवल छह करोड़ मिले, जो आते ही समाप्त हो गये. हमने दोबारा राशि की मांग की है. जब तक पर्याप्त राशि नहीं मिलती है, तो लाभुकों को हम राशि कहां से देंगे.
संजय कुमार, उप नगर आयुक्त
केस – 1
सवा लाख लगा चुके नगर निगम से एक किस्त भी नहीं मिली
स्वीपर का काम करनेवाले डोम टोली निवासी महेंद्र राम को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिला तो वे काफी खुश हुए. घर बनाने के लिए उन्होंने चार दुकानों से छड़, सीमेंट और ईंटें उधार में उठा लिये. मकान ढलाई लेबल तक पहुंच गया है. लेकिन, नौ माह बीतने के बाद भी उन्हें पहली किस्त नहीं मिली है. वे कहते हैं कि अब तो घर में रहना दूभर हो गया है. जिनसे उधार में सामान लिया है, वे रोज तगादा कर रहे हैं.
केस-2
मकान की ढलाई करा ली, लेकिन एक भी किस्त नहीं मिली
वार्ड नंबर-18 के भोला प्रसाद को प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिला. कच्चा मकान तोड़कर पक्का मकान बनाना शुरू किया. आज छह माह होने को हैं, लेकिन अब तक इन्हें एक भी किस्त नहीं मिली है. मजबूरी में भोला ने उधारी लेकर अपने घर की ढलाई करा दी है. ऐसे में भोला के बेटे प्रतिदिन नगर निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन नगर निगम के अधिकारी उन्हें फंड नहीं होने की बात कह कर टरका दे रहे हैं.
केस-3
किराये के मकान में शिफ्ट हुए, अब लगा रहे निगम के चक्कर
वार्ड नंबर-16 मेें रहनेवाले अफाक अहमद पेशे से मैकेनिक हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन्हें भी आवास मिला है. आवास के निर्माण के लिए पहले से बने कच्चे मकान को तोड़कर ये पूरे परिवार के साथ बगल में ही किराये के मकान में शिफ्ट हो गया है. आज इनका मकान ढलाई लेबल तक पहुंच गया है. लेकिन, इनके पास ढलाई करने के पैसे नहीं हैं. पिछले छह माह से श्री अहमद निगम के चक्कर लगा रहे हैं.
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