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झारखंड : …जब सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए लालू ने कहा, निर्दोष होकर भी हम जेल में हैं

सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए लालू, वीएस दुबे की गवाही रांची : डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में गुरुवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में पेश हुए. वहीं मामले में सीबीआइ की अोर से गवाह नंबर 465 वीएस दुबे (तत्कालीन वित्त […]

सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए लालू, वीएस दुबे की गवाही
रांची : डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में गुरुवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में पेश हुए. वहीं मामले में सीबीआइ की अोर से गवाह नंबर 465 वीएस दुबे (तत्कालीन वित्त आयुक्त एवं सचिव वित्त विभाग बिहार अौर झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव) की गवाही दर्ज की गयी.
इस दौरान लालू प्रसाद ने कोर्ट में कहा कि हमलोगों पर न जाने क्या-क्या खेला हुआ. इन सब में एजी व सीएजी की भागीदारी है, पर सीबीआइ ने उनको आरोपी नहीं बनाया. जैसा कि लोग कहते हैं कि ट्रेजरी से करोड़ों की निकासी हो रही थी. पर कोई ध्यान नहीं दिया. मामले में मेरे आदेश के बाद एफआइआर दर्ज हुई. इनोसेंट होकर भी हम जेल में रह रहे हैं. मेरे समय में कहीं भी नहीं लिखा गया है कि कपटपूर्ण निकासी हुई है. फाइल में सब रिकाॅर्ड है, लेकिन लिखतन के आगे बकतन नहीं चलता है.
जब जांच टीम चाईबासा पहुंची, तो वहां हड़कंप मच गया : वीएस दुबे
गवाही में वीएस दुबे ने कहा कि उन्हें पशुपालन घोटाला के बारे में पहली बार जानकारी 22 जनवरी 1996 को मिली. 1995-96 में पशुपालन विभाग का बजट प्रावधान 72 करोड़ रुपये था.
उसके विरुद्ध नवंबर 1995 तक लगभग 117 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे, जबकि अक्तूबर 1995 तक मात्र 55 करोड़ खर्च हुआ था. इससे स्पष्ट हुआ कि शेष राशि एक महीने में खर्च हुई. वीएस दुबे ने कहा कि अत्यधिक खर्च को देखते हुए मैंने तत्कालीन अपर सचिव मान सिंह को एक टीम के साथ डोरंडा अौर रांची ट्रेजरी में जाकर पशुपालन विभाग के उक्त खर्च की जांच करने को कहा. टीम ने बताया कि रांची, चाईबासा, जमशेदपुर, गुमला आदि जिलों में पशुपालन विभाग में भारी गड़बड़ी हुई है. जब जांच टीम चाईबासा पहुंची, तो वहां हड़कंप मच गया.
पशुपालन विभाग के एक कर्मचारी के पास 30 लाख रुपये मिले. कार्यालय के अलमारी से सोना, चांदी अौर रुपये मिले. रुपयों को बोरा में भर कर भूसा में छिपाया गया था.
मान सिंह सारे कागजात लेकर पटना पहुंचे. इस बीच लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ने कहा कि आप मामला दर्ज नहीं कर सकते, क्योंकि यह आपके क्षेत्राधिकार में नहीं है. मैंने कहा कि मेरी जिम्मेदारी सरकार के प्रति है और हम सरकार को लिख रहे हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने जांच का आदेश दिया.

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