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जातिवाद व काम नहीं करना भी भ्रष्टाचार

आरटीआइ पर स्टेट ट्रांसपिरेंसी रिपोर्ट जारी सीमित संसाधनों में झारखंड का सूचना आयोग काफी बेहतर काम कर रहा है रांची : भारत भ्रष्टाचार की भूल-भुलैया में उलझा हुआ है. निकलने का रास्ता नहीं दिख रहा है. हालांकि लोग हाथ-पांव जरूर मार रहे हैं, लेकिन समस्या जड़ से खत्म नहीं हो रही है. भ्रष्टाचार हमेशा ऊपर […]

आरटीआइ पर स्टेट ट्रांसपिरेंसी रिपोर्ट जारी
सीमित संसाधनों में झारखंड का सूचना आयोग काफी बेहतर काम कर रहा है
रांची : भारत भ्रष्टाचार की भूल-भुलैया में उलझा हुआ है. निकलने का रास्ता नहीं दिख रहा है. हालांकि लोग हाथ-पांव जरूर मार रहे हैं, लेकिन समस्या जड़ से खत्म नहीं हो रही है. भ्रष्टाचार हमेशा ऊपर से नीचे आता है.
नीचे आकर वह अश्रुधारा में बदल जाता है. किसी के साथ अन्याय नहीं हो, इसलिए कानून में सेफगार्ड बनाये गये हैं. अपील दर अपील का प्रावधान रखा गया है. न्याय प्रक्रिया ऐसी है कि कानून के सेफगार्ड का उपयोग कर कानून का दुरुपयोग किया जाता है. मामला लंबा खिंचता है.
समय पर न्याय नहीं मिल पाता है. बहुत सारी परिस्थितियां न्याय प्रक्रिया पर असर डालती हैं. यह बातें झारखंड हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस आरके मेरठिया ने कही. वह शुक्रवार को कडरू मोड़ स्थित चेंबर भवन के सभागार में आयोजित स्टेटस अॉफ आरटीआइ इन झारखंड विषयक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. ट्रांसपिरेंसी इंटरनेशनल इंडिया (टीआइआइ) के झारखंड सेंटर की अोर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जस्टिस मेरठिया ने कहा कि जातिवाद कोई भी करता है, वह भ्रष्टाचार है. मंत्रियों व अधिकारियों द्वारा समय पर काम नहीं करना तथा अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं करना भी भ्रष्टाचार है.
संविधान को बहुत सोच-समझ कर लिखा गया था, लेकिन उपयोग से अधिक संविधान का दुरुपयोग अधिक किया गया है. झारखंड राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चाैधरी ने कहा कि सूचनाधिकार कानून (आरटीआइ) के मामले में झारखंड अन्य राज्यों के मुकाबले अव्वल है. सीमित संसाधनों में झारखंड का सूचना आयोग काफी बेहतर काम कर रहा है. सूचना मिलने पर ही भ्रष्टाचार उजागर हो सकेगा. हमारी कोशिश होती है कि आवेदकों को सूचना उपलब्ध हो जाये. कई ऐसे आवेदक हैं, जिनके 100-150 मामले लंबित हैं. 15 से अधिक मामले दायर करनेवाले आवेदकों के मामले खंडपीठ में सुने जाते हैं.
श्री चाैधरी ने वर्ष 2016-2017 के आंकड़े को रखते हुए कहा कि द्वितीय अपील के 7872 मामले दर्ज किये गये. इसमें से उनकी अदालत में 4114 मामलों की सुनवाई हुई, जिसमें से 701 मामले निष्पादित हुए हैं. 28 मामलों में पेनाल्टी लगायी गयी है. मुख्य सूचना आयुक्त ने 20 मामलों में पेनाल्टी लगायी है. आयोग के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील दायर करने का प्रावधान है.
संतुष्ट नहीं होने पर आवेदक को हाइकोर्ट में आदेश को चुनाैती दी जानी चाहिए. सड़क पर विरोध करना उचित नहीं है. कार्यक्रम में जो रिपोर्ट जारी की गयी है, उसमें कई पुराने आंकड़े दिये गये है. विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण ने कहा कि सूचना देने में लोगों को तकलीफ होती है. जन सूचना अधिकारियों के पास भी काम का दबाव रहता है. सूचना का आवेदन भ्रष्टाचार व बिचाैलियों पर चोट करता है.
राजनीतिक, आर्थिक रूप से बिचाैलिया तंत्र मजबूत है. प्रशासन सीधे लोगों तक पहुंचे. डॉ शरण ने कहा कि उन्होंने विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सूचनाधिकार कानून के तहत सिस्टम को मजबूत किया है. ऐसा प्रयास है कि बहुत सारी सूचनाएं स्वत: वेबसाइट पर ही मिल जाये. टीआइआइ के कार्यकारी निदेशक रामनाथ झा ने कहा कि भ्रष्टाचार हमारी संस्कृति में शामिल हो गया है. करप्ट सिस्टम से फाइट करना किसी के लिए भी आसान नहीं है. पारदर्शिता के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करना जरूरी है.
झारखंड के राज्य सूचना आयोग की अलार्मिंग स्थिति है. यहां 10 सूचना आयुक्तों में से नाै पद रिक्त हैं. 74 कर्मियों में से 55 पद रिक्त पड़े हैं. सिर्फ 15 कर्मी नियमित हैं, शेष प्रतिनियुक्ति पर हैं. दो करोड़ का बजट है. झारखंड में मानव संसाधन, कार्मिक व जल संसाधन से सर्वाधिक सूचना मांगी गयी है. एससी-एसटी कोटि के लोग आरटीआइ का उपयोग नहीं कर रहे हैं. टीआइआइ के कोषाध्यक्ष एके जैन ने स्टेटस ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट झारखंड पर प्रकाश डालते हुए कहा कि झारखंड में प्वाइंट047 प्रतिशत लोगों ने ही आरटीआइ का उपयोग किया है.
उन्होंने कहा कि पूरे भारत में सरकारी व निजी क्षेत्रों में 30 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इनमें से 25 प्रतिशत राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है. चेंबर अध्यक्ष रंजीत गड़ोदिया ने कहा कि भ्रष्टाचार जड़ से घुसा हुआ है.
उससे सभी लोग प्रभावित होते हैं. टीआइआइ झारखंड के अध्यक्ष बलराम ने कहा कि सरकार अपने कार्यों को पारदर्शी बनाये तथा स्वयं ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट जारी करे. सचिव डॉ विष्णु राजगढ़िया ने कार्यक्रम का संचालन किया. इससे पूर्व अतिथियों ने स्टेटस ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट झारखंड जारी की. राज्य के 33 सामाजिक कार्यकर्ता व मीडियाकर्मियों को सम्मानित किया गया. विभिन्न जिलों से आये सामाजिक कार्यकर्ताअों ने अपने अनुभव भी सुनाये.

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