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संताल : 800 क्रशर मालिकों से पांच-पांच हजार लेते हैं नक्सली
प्रणव रांची : नक्सलियों के आर्थिक तंत्र की सबसे बड़ी ताकत है लेवी. संताल परगना से भी भाकपा माओवादियों को मोटी रकम मिलती है. यहां पर 800 क्रशर हैं. प्रति क्रशर मालिकों से पांच-पांच हजार रुपये लेवी प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी द्वारा वसूला जाता है. जबकि प्रत्येक पत्थर खदानों से 8000 हजार रुपये लिये जाते […]
प्रणव
रांची : नक्सलियों के आर्थिक तंत्र की सबसे बड़ी ताकत है लेवी. संताल परगना से भी भाकपा माओवादियों को मोटी रकम मिलती है. यहां पर 800 क्रशर हैं. प्रति क्रशर मालिकों से पांच-पांच हजार रुपये लेवी प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी द्वारा वसूला जाता है. जबकि प्रत्येक पत्थर खदानों से 8000 हजार रुपये लिये जाते हैं.
इसी तरह सड़क निर्माण कार्य करनेवाले ठेकेदारों से प्राक्कलित राशि का पांच फीसदी लेवी लिया जाता है. यह खुलासा एसपी अमरजीत बलिहार की हत्याकांड में पुलिस की गिरफ्त में आये बिहार-झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य सुखलाल मुर्मू उर्फ हिरेंद्र उर्फ अमृत उर्फ धीरेंद्र ने किया है.
उसने बताया कि रेलवे पुल बनानेवाले ठेकेदारों से भी लेवी लिया गया है. लेकिन राशि कितनी ली गयी, इसका ब्योरा नहीं दिया. उसने बताया कि संताल परगना जोन में लेवी के लिए ही ज्यादातर नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया जाता था. लेवी का पैसा उसके अलावा नंदलाल मांझी, ताला दा उर्फ सहदेव राय और कंचन यादव द्वारा लिया जाता था.
लेवी नहीं देने पर जेवीआर कंपनी की 17 गाड़ियों को जला दिया : हार्डकोर सुखलाल से मिली जानकारी के मुताबिक जेवीआर कंपनी से पहली बार 17 लाख रुपये संगठन की ओर से लेवी लिया गया था. दोबारा लेवी मांगने पर कंपनी ने लेवी नहीं दिया. इससे नाराज होकर संगठन की ओर से कार्रवाई कर कंपनी की 17 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था. इसके बाद से कंपनी फिर से लेवी देने लगी. उसने यह भी बताया कि पैनम कोल माइंस से भी लेवी लिया जाता था.
विस्थापन का भय दिखा ग्रामीणों को करते थे गोलबंद
जानकारी के मुताबिक विस्थापन का भय दिखाकर ग्रामीणों को माओवादी संगठन द्वारा गोलबंद किया जाता था. इसके लिए विस्थापन विरोधी मंच तैयार किया गया. इस संगठन में रसिक और दामोदर आदि काे शामिल किया गया था.
संताल में क्रांतिकारी किसान कमेटी और नारी मुक्ति संघ हो चुका है बंद
संताल परगना में 2004-05 में क्रांतिकारी किसान कमेटी बनाया गया था. संगठन की ओर से इसकी देखरेख की जवाबदेही कंचन यादव को सौंपी गयी थी. लेकिन कंचन द्वारा कमेटी की नियमित बैठक नहीं करने के कारण यह भंग हो गयी. उसने कहा है कि नारी मुक्ति संघ 2012 तक काम कर रहा था. सीमा संगठन छोड़ कर चली गयी. वहीं नमिता राय गिरफ्तार हो कर जेल गयी. संतोषी मुर्मू ने भी पार्टी छोड़ दी. इसके कारण नारी मुक्ति संघ समाप्त हो गया.
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