रांची : स्टैंडिंग कांफ्रेंस ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (स्कोप) के महानिदेशक सह गेल के पूर्व चेयरैमन यूडी चौबे का मानना है कि सार्वजिनक उपक्रमों को ज्यादा स्वायत्त होना चाहिए. इससे सार्वजनिक उपक्रमों का विकास होगा. स्कोप पब्लिक सेक्टर में सुधार के लिए भारत सरकार को सुझाव देती है. नीतिगत मामलों पर विचार किया जाता है.
श्री चौबे मंगलवार को होटल रेडिशन ब्लू में प्रेस से बात कर रहे थे. श्री चौबे ने कहा कि देश में 320 केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम हैं. सात महारत्न, 19 नवरत्न कंपनियां हैं. इसके अलावा मिनी रत्न और सीक कंपनियां भी हैं. इन कंपनियों से कुल 20 लाख करोड़ का टर्नओवर है. देश के जीडीपी में इसका करीब 14 से 15 फीसदी योगदान है.
इसमें से 46 कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में निबंधित हैं. इसमें करीब 12 लाख 34 हजार काम करनेवाले हैं. 1990 से पहले इन कंपनियों में 24 लाख के आसपास कर्मी थे. आज इनकी संख्या करीब 12 लाख के आसपास हो गयी है. झारखंड में केंद्र सरकार के 10 सार्वजनिक उपक्रम हैं. इसमें कोयला कंपनियों को छोड़ शेष लाभ की स्थिति में नहीं हैं. यहां एचइसी जैसी कंपनियां हैं. इसके रिवाइवल का प्लान बन चुका है. इस पर सहमति भी बन चुकी है. उम्मीद है कि अगले साल से यह कंपनी लाभ में आ जायेगी.
अलग-अलग विषयों पर हुई दो कार्यशाला
स्कोप ने मंगलवार को होटल रेडिशन ब्लू में दो-दो कार्यशाला का आयोजन किया. सूचना के अधिकार कानून पर आयोजित कार्यशाला में सार्वजनिक उपक्रम के समक्ष आनेवाली समस्याओं पर विचार किया. इसमें वक्ताओं ने कहा कि इससे शुरुआती दौर में कुछ परेशानी तो हुई है, लेकिन अब कंपनी की साख भी बन रही है. इसमें मुख्य वक्ता के रूप में सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद मौजूद थे. दूसरी कार्यशाला अॉक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ विषय पर थी. कार्यशाला के पहले दिन वक्ता के रूप में श्रम एवं रोजगार विभाग के महानिदेशक डॉ अवनीश सिंह, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक पी बूनपाला, डीजीएमएस पीके सरकार, सीआइपी के निदेशक डॉ राम व पूर्व सलाहकार पीपी मित्रा मौजूद थे.