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मृतकों के हाथों की अंगुली में स्याही लगा सादे कागज पर लिया था निशान
रांची : चर्चित बकोरिया कांड में पलामू सदर के तत्कालीन थानेदार हरीश पाठक के बयान ने मुठभेड़ पर सवाल खड़े कर दिये हैं. उन्होंने बयान में कहा है कि पोस्टमार्टम हाउस में 12 लोगों का शव पड़ा था. वहां पर सतबरवा ओपी का चौकीदार एक-एक कर सभी मृतकों के हाथों की अंगुली में स्याही लगा […]
रांची : चर्चित बकोरिया कांड में पलामू सदर के तत्कालीन थानेदार हरीश पाठक के बयान ने मुठभेड़ पर सवाल खड़े कर दिये हैं. उन्होंने बयान में कहा है कि पोस्टमार्टम हाउस में 12 लोगों का शव पड़ा था.
वहां पर सतबरवा ओपी का चौकीदार एक-एक कर सभी मृतकों के हाथों की अंगुली में स्याही लगा कर एक सादे कागज पर निशान ले रहा था. निशान लेने के बाद उसने एक मृतक के बदन से हरे रंग की वर्दी को उतार कर उसे पोस्टमार्टम हाउस के पीछे फेंक दिया. चौकीदार से जब उन्होंने पूछा कि कपड़ा साक्ष्य है. इसे थैले में रखने की जगह क्यों फेंका. इस पर चौकीदार ने बोला कि बड़ा बाबू हटाने को बोले हैं. संभवत: यह वही वर्दी थी, जिसमें कोई छेद नहीं था, लेकिन मृतक के शरीर पर गोली के निशान थे.
चौकीदार को स्कॉर्पियो के तौलिये में खून लगाने से रोका, तो एसपी ने हड़काया
मुठभेड़ स्थल से पुलिस ने एक स्कॉर्पियो बरामद किया था. इसी पर सवार होकर 12 लोग जा रहे थे. हरीश पाठक के मुताबिक घटना के बाद स्काॅर्पियो का तौलिया लेकर पोस्टमार्टम हाउस सतबरवा का चौकीदार पहुंचा था.
इसके बाद वह मारे गये लोगों को बकोरिया से लाने वाले 407 वाहन के पास गया. फिर डाला पर चढ़ने लगा. पूछने पर कहा कि बड़ा बाबू बोले हैं कि 407 के डाले में पड़े खून और पानी में तौलिया को भिंगो कर ले आअो. इस पर उन्होंने चौकीदार को कहा कि वह यहां से जाये और बड़ा बाबू को ही भेज दे. इसके कुछ देर बाद ही एसपी साहब का फोन मेरे मोबाइल पर आया. उन्होंने कहा कि चौकीदार को क्यों भगाया. बहुत तेज बनते हो. चौकीदार जो कर रहा है, उसे करने दो. इसके बाद चौकीदार ने एएसआइ सुरेंद्र सिंह के सहयोग से स्काॅर्पियो के तौलिये को 407 वाहन के डाले में पड़े खून में भिंगोया और चला गया.
पलामू में डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम से किया इनकार, रांची से गयी थीटीम
मुठभेड़ के दूसरे दिन सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए नौ जून 2015 को बकोरिया से पलामू सदर अस्पताल ले जाया गया था.थानेदार हरीश पाठक के अनुसार, वहां के चिकित्सकों ने यह कहते हुए पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया कि उनके पास फोरेंसिक विशेषज्ञ मौजूद नहीं हैं. इसके बाद पलामू के तत्कालीन डीएसपी-2 प्रभात रंजन बरवार, पांकी इंस्पेक्टर और मैं पलामू डीसी से मिलने गये, लेकिन उस दिन शाम तक पोस्टमार्टम का कोई आदेश नहीं निकला. अगले दिन 10 जून को रांची से मेडिकल टीम पलामू पहुंची. फिर दो दिनों में सभी का पोस्टमार्टम हुआ.
साक्ष्य संकलन में की गयी नियमों की अनदेखी
जानकार बताते हैं कि मुठभेड़ के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से पुलिस को गाइड लाइन दी हुई है. इसके तहत मुठभेड़ स्थल पर पंचनामा तैयार करने के दौरान दंडाधिकारी की मौजूदगी जरूरी है. वहीं सभी साक्ष्य संकलन की वीडियोग्राफी भी हर हाल में करनी है, जबकि पाठक के बयान से पता चलता है नियमों की अनदेखी की गयी.
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