रांची: राष्ट्रीय कवि संगम के काव्याभिषेक स्मारिका विमोचन सह कवि सम्मेलन में कवियों, रचनाकारों को एक मंच उपलब्ध कराने की घोषणा रविवार को की गयी. लोयला कॉन्वेंट में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक हरे राम त्रिपाठी चेतन ने कहा कि राष्ट्रीयता शब्द अपने परिवर्तित रूप में अब झलकने लगा है. 1962 के बाद राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय चेतना का विलोपन हो गया है. कथाकारों, रचनाकारों का ध्यान अब इस ओर कम जाने लगा है. इसका मुख्य कारण उनमें क्षोभ और चिंगारी का नहीं रहना है. आजादी के पहले जो नींव विचारकों और नेताओं ने रखी थी, वह बदल गया है. साहित्यकारों में राष्ट्रीय चेतना का उदभव होना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि राजनीति साहित्य से योगदान मांग रही है, पर साहित्यकारों के पास देने के लिए कुछ नहीं है. रचनाकार जो भूख और दुख की बातें करते थे, वे अब अंगारों से बचने लगे हैं. झारखंड इकाई के अध्यक्ष सुनील खवाड़े ने कहा कि अगले वर्ष से युवा कवियों के लिए विशेष संगम आयोजित किया जायेगा. प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को यह आयोजन होगा, जिसमें झारखंड के उभरते कवियों और युवाओं को मंच साझा करने का मौका मिलेगा.
काव्याभिषेक की विवेचना करते हुए डॉ जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि स्मारिका में राष्ट्रीय स्तर के 70 कवियों की रचना का संकलन किया गया है. झारखंड इकाई ने इसका प्रकाशन करा कर उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने कहा कि कवि की कविता का रसास्वादन श्रोता करते हैं. कविता ही मनुष्य को मनुषत्व और कवितत्व का बोध कराती है. उन्होंने सभी कवियों का स्वागत किया. संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने झारखंड इकाई के कार्यकलापों की सराहना की. उन्होंने कहा कि राष्ट्र जागरण कवि संगम का मुख्य उद्देश्य है. कार्यक्रम की अध्यक्षता रांची विवि के कुलपति प्रो रमेश कुमार पांडेय ने की. संचालन सीमा चंद्रिका तिवारी और शिशिर सोमवंशी ने किया. ब्रिजफोर्ड विद्यालय के बच्चों ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत नागपुरी नृत्य के साथ किया. मौके पर उप महापौर संजीव विजयवर्गीय, रांची दूरदर्शन केंद्र के पूर्व निदेशक प्रमोद झा व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.