आज यह 300 रुपये प्रति किलो हो गया है. जूट और पेपर बैग प्रति पीस के हिसाब से बिक रहा है. जरूरत के अनुसार जूट और पेपर बैग नहीं मिल पा रहे हैं. पूरे भारत में दो महीने में जितने पॉलिथीन बैग निकलते हैं, उतना पूरे विश्व में पेपर बैग नहीं बन सकता है.
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पॉलिथीन पर प्रतिबंध के बाद और बढ़ गयी हैं मुश्किलें, सरकार देखे, कौन-सा पॉलिथीन बैग नुकसानदेह
गिरीश मल्होत्रा पॉलिथीन बैग को पूरी तरह से बंद करने से बाजार में दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. समस्या यह आ गयी है कि सामान को आखिर किन चीजों में पैक करके दिया जाये. पॉलिथीन बैग काफी सस्ता है. जबकि जूट और पेपर बैग महंगे पड़ रहे हैं. पॉलिथीन बैग प्रतिबंधित होने से […]
गिरीश मल्होत्रा
पॉलिथीन बैग को पूरी तरह से बंद करने से बाजार में दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. समस्या यह आ गयी है कि सामान को आखिर किन चीजों में पैक करके दिया जाये. पॉलिथीन बैग काफी सस्ता है. जबकि जूट और पेपर बैग महंगे पड़ रहे हैं. पॉलिथीन बैग प्रतिबंधित होने से पहले नॉन वोवन कैरी बैग भी महंगे हो गये हैं. बैन होने के पहले यह 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा था.
सरकार की नीतियों का विरोध नहीं करते : सरकार की नीतियों का विरोध नहीं करते हैं. सरकार पहले यह देखे कि कौन-सा प्लास्टिक बैग आम जनजीवन या जान-माल को नुकसान पहुंचा रहा है. तय कर लिया जाये कि तय मानक से नीचे के पॉलिथीन बैग का प्रयोग न हो. इसकी कड़ाई से जांच की जाये. पेपर बैग का तीन बार प्रयोग किया जा सकता है. कई राज्यों में पॉलिथीन बैग का आसानी से प्रयोग हो रहा है.
पॉलिथीन बैग का निर्माण बंद होने से बेरोजगारी की स्थिति भी उत्पन्न होने लगी है. कई इंडस्ट्री ने लोन लेकर इंडस्ट्री खड़ा किया है. अचानक पॉलिथीन बैग प्रतिबंधित कर देने से देने से बड़ी मुश्किल उत्पन्न हो गयी है.
(लेखक झारखंड चैंबर
के पूर्व अध्यक्ष हैं.)
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