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ट्रैफिक व्यवस्था, हाइकोर्ट की टिप्पणी, सराहनीय है सीएम का प्रयास, सहयोग करें लोग

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को रांची की यातायात व्यवस्था और भारी वाहनों से हो रही दुर्घटनाअों को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान मौखिक रूप से राजधानी की यातायात व्यवस्था को व्यवस्थित बनाने के मुख्यमंत्री के […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को रांची की यातायात व्यवस्था और भारी वाहनों से हो रही दुर्घटनाअों को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान मौखिक रूप से राजधानी की यातायात व्यवस्था को व्यवस्थित बनाने के मुख्यमंत्री के प्रयास की सराहना की. कहा कि इस कार्य में राजधानीवासियों को सहयोग करना चाहिए. खंडपीठ ने कहा : सुगम यातायात व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री स्वयं गंभीर हैं. वह बैठकें कर रहे हैं. सड़कों का स्थल निरीक्षण कर यातायात में सुधार के निर्देश दे रहे हैं.
खंडपीठ ने कहा कि राजधानी के लिए अगले 50 सालों को देखते हुए बेहतर ट्रैफिक प्लान बनाया जाना चाहिए. रांची के अलावा दूसरे शहरों में भी सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी चाहिए. बेंगलुरु और कोयंबटूर जैसे शहरों का उदाहरण लिया जाना चाहिए. ये शहर वाणिज्यिक केंद्र के रूप में उभरे, जहां अच्छी तरह से विकास कार्य किये गये हैं.
सरकार के प्रयासों का अनावश्यक विरोध उचित नहीं : सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा : रांची की यातायात को व्यवस्थित करने के लिए सड़कों के कट बंद किये जा रहे हैं. देश के बड़े शहरों में भी सड़कों के कट बंद किये जाते हैं. वहां लोग पांच-पांच किमी दूर जाकर जरूरत पड़ने पर वापस मुड़ते हैं. वहां लोगों की यह आदत बन गयी है. राजधानी में जो प्रयास किये जा रहे हैं, उसका समर्थन करना चाहिए. अनावश्यक विरोध करना उचित नहीं कहा जा सकता है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए नाै जनवरी 2018 की तिथि निर्धारित की. खंडपीठ ने नगर विकास व परिवहन विभाग से पूछा कि सड़कों पर ट्रैफिक का दवाब कैसे कम किया जा सकता है.
2018 में प्रमुख सड़कों पर उपलब्ध होंगी 300 एंबुलेंस
राज्य सरकार की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि 2018 में राष्ट्रीय राजमार्गों सहित प्रमुख सड़कों पर 300 एंबुलेंस उपलब्ध करा दी जायेंगी. एंबुलेंस में सभी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. सड़क दुर्घटना व अन्य आपात स्थिति से निबटने के लिए चिकित्सकीय सुविधा से लैस 50 एंबुलेंस कार्य कर रहे हैं. रणनीतिक रूप से राज्य की सड़कों पर ट्रामा सेंटर का निर्माण किया जायेगा. नगर विकास विभाग, परिवहन विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए खंडपीठ से आैर समय देने का आग्रह किया गया.

अधिवक्ता ने चीफ जस्टिस को लिखी थी चिट्ठी
अधिवक्ता राहुल कुमार दास ने चीफ जस्टिस को एक चिट्ठी लिखी थी. चीफ जस्टिस ने उस चिट्ठी को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. चिट्ठी में लिखा था कि कांटाटोली चौक व रातू रोड में यातायात को व्यवस्थित किया जाना चाहिए. वहां पैदल चलना भी खतरनाक है. भारी वाहनों का दबाव रहता है. हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. कुछ दिन पहले सड़क दुर्घटना में दो बच्चों की मौत हो गयी थी. एनएच पर एंबुलेंस की सुविधा नहीं रहती है.

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