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राज्य की आर्थिक स्थिति खराब, दबाव में है वित्तीय व्यवस्था

रांची : राज्य के खाद्य आपूर्ति एवं संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा है कि राज्य की वित्तीय व्यवस्था फिलहाल भारी दबाव में है. कर राजस्व समेत राज्य के आंतरिक संसाधन संग्रह में गिरावट के संकेत हैं. केंद्रीय सहायता एवं अनुदान का समुचित उपयोग नहीं हो रहा है. उधार, अग्रिम प्राप्ति एवं व्यय की […]

रांची : राज्य के खाद्य आपूर्ति एवं संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा है कि राज्य की वित्तीय व्यवस्था फिलहाल भारी दबाव में है. कर राजस्व समेत राज्य के आंतरिक संसाधन संग्रह में गिरावट के संकेत हैं. केंद्रीय सहायता एवं अनुदान का समुचित उपयोग नहीं हो रहा है. उधार, अग्रिम प्राप्ति एवं व्यय की स्थिति भी ठीक नहीं लगती है. खनिज क्षेत्र से मिलने वाले केंद्रांश के लिए राज्य में सही योजना का अभाव दिख रहा है. विकास दर के आंकड़े भले उपलब्धियां बता रहे हैं पर राज्य की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. श्री राय का मानना है कि राज्य की वित्तीय स्थिति की सही जानकारी तभी होगी, जब विशेषज्ञ पब्लिक फिनांस के आकड़ों का तटस्थ विश्लेषण करें.
श्री राय ने लिखा है कि छह जनवरी 2016 को मैंने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा था. इसमें मैंने राज्य के वित्तीय एवं योजना कार्यों के अध्ययन एवं विश्लेषण के लिए एक समूह गठित हो, इस बारे में सरकार द्वारा क्या कार्रवाई हुई इसकी जानकारी मुझे नहीं है. श्री राय ने कहा है कि झारखंड राज्य बनने से लेकर अब तक इस मुद्दे पर राज्य सरकारें गंभीर नहीं रही हैं. इस हेतु विशेषज्ञों की सलाह प्राप्त करने तथा सक्षम संस्था बनाने में भी किसी सरकार की रुचि नहीं रही है. इस कारण संसाधनों से भरपूर इस राज्य की विकास की दिशा स्थिर नहीं रही है. राज्य की विकास दर कभी उछाल पर रहती है, तो कभी इसमें भारी गिरावट दिखती है. आप सहमत होंगे कि राज्य की जनता को इस बारे में वस्तु स्थिति की जानकारी होनी चाहिए.
जहां तक मेरी जानकारी है राज्य बनने के बाद दो बार विकास गणना के आधार वर्ष बदले. एक बार 2004-05 में और दूसरी बार 2011-12 में. इसलिए वर्ष 2000 से 2017 के बीच राज्य के वार्षिक विकास दरों के बीच तुलना के लिये एक समान आधार नहीं है. फिर भी 2005 से 2010 के बीच तथा 2011 से 2017 के बीच के राज्य की विकास दर के आंकड़े पर नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि राज्य के विकास दर में स्थिरता एवं निरंतरता का अभाव है. वर्ष 2011-12 आधार वर्ष के उपरांत झारखंड के वर्ष 2016-17 के विकास दर के आंकड़ों से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि विकास दर के मामले में झारखंड का स्थान गुजरात के बाद देश भर में दूसरा है. इसका श्रेय लेने की होड़ है कि झारखंड ने काफी प्रगति कर ली है तथा 2016-17 में विकास दर 8.6 फीसदी हो गयी है. जबकि इसके पूर्व के वर्ष 2012-13 में झारखंड की विकास दर 15.77, 2013-14 में 7.92 तथा 2014-15 में 15.89 पहुंच गयी थी. लगातार तीन वर्षों तक उच्च विकास दर हासिल किये रहने के बाद 2015-16 में झारखंड की विकास दर घट कर 5.84 फीसदी हो गयी. और अब 2016-17 में यह 8.6 फीसदी हो गयी है.

गौरतलब है कि यह सुधार गत वर्ष की तुलना के आधार पर है. जबकि पूर्व की वर्षों में झारखंड का विकास दर अधिकतम 26.50 (वर्ष 2010-11) फीसदी तक रही है. इस तरह झारखंड के विकास दर में उतार-चढ़ाव होता रहा है. इसलिए यह जरूरी है कि इसका ठोस अध्ययन और विश्लेषण किया जाये. श्री राय ने उम्मीद जतायी है कि कि है इस परिपेक्ष्य विकास आयुक्त उपयुक्त कार्रवाई करेंगे ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था को कमजोर होने से बचाया जा सके.

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