रांची: सिमडेगा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाये गये बेयर हाउस के निर्माण में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. जांच में पाया गया है कि खूंटी और सिमडेगा में अलग-अलग बेयर हाउस का निर्माण होना था. लेकिन दोनों योजनाओं को मिला कर एक साथ टेंडर कर दिया गया. वहीं, खूंटी बेयर हाउस निर्माण की […]
रांची: सिमडेगा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाये गये बेयर हाउस के निर्माण में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. जांच में पाया गया है कि खूंटी और सिमडेगा में अलग-अलग बेयर हाउस का निर्माण होना था. लेकिन दोनों योजनाओं को मिला कर एक साथ टेंडर कर दिया गया. वहीं, खूंटी बेयर हाउस निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति टेंडर से पहले विभाग ने दे दी थी, जबकि सिमडेगा बेयर हाउस निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति टेंडर के बाद में दी गयी थी.
सिमडेगा और खूंटी बेयर हाउस का टेंडर 14 जुलाई 2014 को किया गया था. फिर 30 अगस्त 2014 को तत्कालीन कार्यपालक अभियंता जोधन मुंडा द्वारा कॉम्प्रेटिव स्टेटमेंट आॅफ टेक्निकल बिड बनाया गया. चार सितंबर 2014 को स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता अमरेंद्र सिंह ने फाइनांशियल बिड खोलने का आदेश दिया. 30 दिसंबर 2015 को विभाग ने सिमडेगा बेयर हाउस निर्माण की स्वीकृति दी. नियम के तहत टेंडर से पहले स्वीकृति दी जानी होती है.
खूंटी में बेयर हाउस निर्माण को लेकर पहले प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी, फिर वहां पर टेंडर हुआ था. इस संबंध में झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड ने लोकायुक्त को रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट पर जवाबदेह अधिकारियों द्वारा कई स्तर पर गड़बड़ी किये जाने की बात सामने अायी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन मुख्य अभियंता अमरेंद्र सिंह ने संवेदक मेसर्स सेठ कुमार को नौ सितंबर 2014 को कार्य आवंटित कर दिया था. इसको लेकर तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ने 20 सितंबर 2014 को संवेदक को पत्र लिखा.
फिर संवेदक ने 29 सितंबर 2014 को सिमडेगा के साथ ही खूंटी में होनेवाले बेयर हाउस के निर्माण को ले पलामू के संवेदक सेठ कुमार ने अभियंता के साथ एकरारनामा किया. वहीं, कार्यपालक अभियंता जोधन मुंडा ने बेयर हाउस निर्माण को लेकर 17 अक्तूबर 2014 को कार्यादेश जारी किया. इसके बाद 28 फरवरी 2016 को कार्य पूर्ण कर संवेदक ने 19 मार्च 2016 को भवन निर्माण को बेयर हाउस सुपुर्द कर दिया. इस मामले में लोकायुक्त के स्तर से अभी कार्रवाई होनी बाकी है.