रांची: वार्ड नं 37 का हरमू हाउसिंग इलाका ड्राई जोन में तब्दील होता जा रहा है. वार्ड के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए सुबह से शाम तक संघर्ष करते हैं. यहां रहनेवाले अधिकतर लोगों ने अपने निजी आवासों में 200-250 फीट तक की बोरिंग भी करायी थी, पर जलस्तर के नीचे जाने के कारण अब बोरिंग भी फेल हो गया है.
इतना ही नहीं, कॉलोनी के कई क्षेत्रों में पाइपलाइन का कनेक्शन तो है, पर उसमें भी पानी नहीं आता है. वहीं नगर निगम द्वारा लगाये गये अधिकतर चापाकलों से भी पानी नहीं आता. पूरे वार्ड के लिए निगम मात्र एक टैंकर पानी प्रतिदिन भेजा जाता है, इससे लोगों के पानी की जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं.
बोरिंग से नहीं आ रहा पानी
वार्ड के पाइपलाइन से पानी नहीं आने के कारण लोगों ने अपनी सुविधा के लिए बोरिंग करवायी. परंतु ये टय़ूबवेल एक साल में ही फेल हो गये. पिछले दो महीने में ओल्ड हरमू कॉलोनी, न्यू हरमू कॉलोनी, आजाद हिंद नगर, टुंगरी टोला में ही अकेले 300 से अधिक बोरिंग फेल होने की सूचना है.
सरकारी चापाकल भी बेकार
ओल्ड हरमू कॉलोनी, न्यू हरमू कॉलोनी, आजाद हिंद नगर, टुंगरी टोला व अपर टुंगरी टोला में निगम द्वारा 32 चापाकल लगाये गये हैं. पर इस क्षेत्र में 32 में से मात्र छह चापाकल से ही पानी मिल रहा है.
पाइपलाइन योजना अधर में
दिनोंदिन गिरते जल स्तर को देखते हुए मोहल्ले के लोग निगम से लगातार पाइपलाइन बिछाने की मांग कर रहे हैं. पर, निगम इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है. कुछ मोहल्ले में निगम द्वारा दो वर्ष पहले पाइपलाइन बिछाया तो गया था, पर अब तक उससे पानी नहीं आया है.
तीन-चार दिन ही आता है पानी
हरमू हाउसिंग कॉलोनी में पेयजल विभाग द्वारा सप्ताह में तीन-चार दिन ही जलापूर्ति की जाती है. एक लाख गैलन की क्षमतावाले हरमू वाटर टावर (पानी टंकी) में सिर्फ तीस हजार गैलन की ही पानी की आपूर्ति होती है. अवर प्रमंडल हटिया के कार्यपालक अभियंता रियाज आलम ने बताया कि नियमित जलापूर्ति हरमू हाउसिंग कॉलोनी में नहीं की जाती है. बूटी जलागार से पानी मिलने पर ही हरमू टंकी के लिए जलापूर्ति होती है.