विवेकानंद कुमार शहर में सांप पकड़ कर उसे बचाने का काम पिछले आठ सालों से कर रहे हैं. अब तक उन्होंने 1600 सांपों को पकड़ा है, जिन्हें बाद में जंगलों में छोड़ दिया गया है. विवेकानंद ने बताया कि झारखंड में कई प्रजातियों के सांप पाये जाते हैं. इनमें से कई जहरीले नहीं होते हैं. इसके बावजूद जानकारी के अभाव में लोग उन सांपों को मार देते हैं, जो प्रकृति के लिए बेहद जरूरी होते हैं.
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शहर से पकड़ते हैं सांप जंगलों में छोड़ देते हैं
रांची: स्नैक संस्था द्वारा रविवार को पिठोरिया के जंगल में 10 सांपों को सुरक्षित छोड़ दिया गया. इन सांपों में करैत, नाग, धामन और ढोड़ सांप थे. संस्था के सचिव विवेकानंद कुमार इन सांपों को डब्बे में भर कर लाये थे. विवेकानंद की मानें, तो उन्होंने इन सांपों को शहर के विभिन्न मोहल्ले में घरों […]
रांची: स्नैक संस्था द्वारा रविवार को पिठोरिया के जंगल में 10 सांपों को सुरक्षित छोड़ दिया गया. इन सांपों में करैत, नाग, धामन और ढोड़ सांप थे. संस्था के सचिव विवेकानंद कुमार इन सांपों को डब्बे में भर कर लाये थे.
विवेकानंद की मानें, तो उन्होंने इन सांपों को शहर के विभिन्न मोहल्ले में घरों से पकड़ा था. सांपों को पकड़ने के बाद वे उसे अपने घर में लाकर रखते हैं. जब सांपों की संख्या ज्यादा हो जाती है, तो वे इन्हें जंगल में छोड़ देते हैं.
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