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सीने में दर्द उठा, तुरंत नहीं हुआ इलाज, छात्रा की मौत

खूंटी: जिले के कालामाटी स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़नेवाली कक्षा नौवीं की छात्रा चंपा नाग (15) की मौत हो गयी. यह घटना साेमवार की अहले सुबह की है़ छात्रा खूंटी के गढ़ामरा गांव निवासी बंधु मुंडा की पुत्री थी. इसी साल उसका नामांकन उक्त विद्यालय में हुआ था. प्राचार्या अजीजा मोमिना खातून ने […]

खूंटी: जिले के कालामाटी स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़नेवाली कक्षा नौवीं की छात्रा चंपा नाग (15) की मौत हो गयी. यह घटना साेमवार की अहले सुबह की है़ छात्रा खूंटी के गढ़ामरा गांव निवासी बंधु मुंडा की पुत्री थी. इसी साल उसका नामांकन उक्त विद्यालय में हुआ था.

प्राचार्या अजीजा मोमिना खातून ने बताया कि 27 अगस्त की रात स्कूल की छात्राएं भोजन कर (भात, दाल, आलू व कद्दू की सब्जी) अपने-अपने कमरे में सो गयी. 28 अगस्त की रात दो बजे के करीब छात्रा चंपा नाग ने सीने व पेट में दर्द की शिकायत उनसे की. तत्काल गांव के मुखिया हेरमन तोपनो के सहयोग से छात्रा को इलाज के लिए सदर अस्पताल खूंटी लाया गया, जहां चिकित्सकों ने छात्रा को मृत घोषित कर दिया.
इधर, घटना की सूचना मिलने पर एसडीओ प्रणव कुमार पाल, जिला शिक्षा अधीक्षक एससी घोष, जिला शिक्षा पदाधिकारी भलेरियन तिर्की, बीडीओ सुचिता मिंज अस्पताल पहुंचे और प्राचार्या से घटना की जानकारी ली. सूचना पाकर चंपा नाग के पिता बंधु मुंडा भी अस्पताल पहुंचे. मौके पर झाविमो जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्र ने बंधु मुंडा को 2000 रुपये की आर्थिक सहायता दी. शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया. घटना के बाद छात्रावास की बच्चियों में शोक व्याप्त है.

जल्दी मिलती एंबुलेंस, तो बच सकती थी जान : सूत्रों के मुताबिक चंपा नाग द्वारा सीने में दर्द की शिकायत किये जाने के बाद स्कूल प्रबंधन एंबुलेंस की जुगाड़ करने में जुटा रहा. करीब एक घंटा विलंब से उसे अस्पताल ले जाया गया. छात्रा के पिता का कहना है कि सही समय पर एबुंलेंस मिल जाता, तो शायद उनकी बेटी की जान बच सकती थी.
मेन्यू के अनुसार नहीं मिलता है भोजन
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कालामाटी में मेन्यू के अनुसार रात में भोजन नहीं दिया जाता है. मेन्यू में रात को खाना में रोटी देने का प्रावधान है. पर स्कूल में छात्राओं को चावल (भात) दिया जाता है. स्कूल की प्राचार्या सह वार्डन अजीजा मोमिना खातून का कहना है कि छात्राएं रोटी खाना पसंद नहीं करती हैं. मजबूरी में उन्हें उनकी पसंद के अनुसार रात को खाने में भात व सब्जी दिया जाता है. ग्रामीण क्षेत्र की बच्चियां यहां अध्ययनरत हैं. ग्रामीण छात्राओं को शुरू से ही रात में रोटी की जगह भात खाने की आदत बनी हुई है.

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