रांची: झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने कहा है कि जो अधिवक्ता अब तक अपने प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं करा पाये हैं, वे शीघ्र काउंसिल में अपना प्रमाण पत्र जमा कर दें. ताकि समय सीमा के अंदर उसका सत्यापन कराया जा सके. जो अधिवक्ता प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं करायेंगे, वे वकालत के लिए अनधिकृत […]
रांची: झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने कहा है कि जो अधिवक्ता अब तक अपने प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं करा पाये हैं, वे शीघ्र काउंसिल में अपना प्रमाण पत्र जमा कर दें. ताकि समय सीमा के अंदर उसका सत्यापन कराया जा सके. जो अधिवक्ता प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं करायेंगे, वे वकालत के लिए अनधिकृत हो जायेंगे. वकालत नहीं कर पायेंगे.
अधिवक्ता कल्याणकारी योजनाओं का भी उन्हें लाभ नहीं मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बार काउंसिल अॉफ इंडिया ने सभी अधिवक्ताओं से सत्यापन कराने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने वेरिफिकेशन रूल्स-2015 के तहत सभी बार काउंसिल को यह भी निर्देश दिया है कि अधिवक्ताओं द्वारा जमा कराये गये फार्म की त्रुटियां दूर करने के लिए उन्हें 15 दिनों का समय दिया जाये.
इसके बाद बार काउंसिल एक माह के अंदर प्रमाण पत्रों का सत्यापन का काम पूरा करें. सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वह काउंसिल की ओर से भेजे गये प्रमाण पत्रों का सत्यापन एक माह के अंदर कर दें. सत्यापन के बाद बार काउंसिल मतदाता सूची जारी करेगी. इसके बाद काउंसिल का चुनाव कराया जायेगा. राज्य बार काउंसिल का कार्यकाल 22 जून को समाप्त हो गया है, लेकिन अधिवक्ताअों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन कार्य पूरा नहीं होने के कारण काउंसिल को छह माह का अवधि विस्तार मिला है. चुनाव दिसंबर में कराये जाने की संभावना है.
25 प्रतिशत ने ही जमा किया है प्रमाण पत्र
बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला व को-चेयरमैन राम सुभग सिंह ने बताया कि झारखंड में अब तक लगभग 25 प्रतिशत अधिवक्ताओं ने ही सत्यापन के लिए प्रमाण पत्र जमा किया है. अधिवक्ताओं को कई बार प्रमाण पत्र जमा करने को कहा गया है. सभी जिला बार एसोसिएशन को भी पत्र लिखा गया है. निर्धारित समय के अंदर सत्यापन कराना जरूरी है, ताकि वकालत के साथ-साथ कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया जा सके.