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लाइफ लाइन है रांची-टाटा नेशनल हाइवे, जल्द बनायें
हाइकोर्ट. एनएचएआइ व संवेदक कंपनी शपथ पत्र दायर करें रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा […]
हाइकोर्ट. एनएचएआइ व संवेदक कंपनी शपथ पत्र दायर करें
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि यह एनएच राज्य की लाइफ लाइन है. प्रतिदिन सात हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं. इसमें भारी वाहनों की संख्या सबसे अधिक है. विकास व ट्रांसपोर्टेशन के लिए बेहतर सड़क का होना जरूरी है. पिछले कई वर्षों से एनएच का चाैड़ीकरण कार्य हो रहा है, लेकिन अब तक सिर्फ 44 प्रतिशत ही फोरलेन का कार्य संभव हो पाया है. एनएच चाैड़ीकरण कार्य को तेज किया जाना चाहिए.
खंडपीठ ने एनएचएआइ व संवेदक कंपनी को निर्देश दिया कि आपस में बैठक कर प्रत्येक माह का लक्ष्य निर्धारित करें और लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करें, ताकि फोरलेन कार्य को गति मिल सके. खंडपीठ ने एनएच निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग करने की बात कही.
खंडपीठ ने एनएचएआइ को यह भी निर्देश दिया कि फॉरेस्ट क्लियरेंस, भूमि अधिग्रहण, अतिक्रमण जैसी यदि कोई समस्या है, तो समाधान निकालने पर विचार किया जाये, ताकि राज्य सरकार समयबद्ध तरीके से समस्या का समाधान निकाल सके. संवेदक कंपनी मधुकॉन को निर्देश दिया गया कि वह अपने मैनपावर, प्लांट, मशीनरीज व वित्तीय संसाधनों की जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करे. वहीं एनएचएआइ को निर्देश दिया कि शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल की जाये. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि इस एनएच पर काफी दुर्घटनाएं होती हैं. इसमें जान-माल का भारी नुकसान होता है.
यह मानवता से जुड़ा मामला है. इन दुर्घटनाअों में लोगों की माैत के लिए क्यों नहीं संबंधित प्राधिकार के अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया जाये. पेनाल्टी लगायी जाये. संवेदक ने बार चार्ट में यह नहीं बताया है कि उसे क्या वित्तीय समस्या आ रही है.
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तिथि निर्धारित की. सुनवाई के दाैरान एनएचएआइ, संवेदक कंपनी व पथ निर्माण विभाग के अधिकारी सशरीर उपस्थित थे. इससे पूर्व एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि संवेदक के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं है.
इसका असर काम पर पड़ रहा है. वहीं संवेदक की अोर से पूर्व में बार चार्ट के माध्यम से फोर लेनिंग कार्य की विस्तार से जानकारी दी गयी है. इसमें कहा गया है कि दिसंबर 2017 में कार्य पूरा होना संभव नहीं है. मई 2018 तक कार्य पूरा हो जायेगा. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच की दयनीय स्थिति को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बाद भी कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है.
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